Dahej Ki Boli Me

 Dahej Ki Boli Me | Dahej Par Kavita | 

Hindi Poem On Dowry



 
Lyrics: Dahej Ki Boli Me
अर्थी चढ़ी हजारो कन्या बैठ न पायी डोली में,
लाखो घर बर्बाद हो गए इस दहेज़ की बोली में,
कितनो ने अपनी कन्या के पीले हाथ कराने में,
कहाँ-कहाँ तक मस्तक टेके आती शर्म जताने में,
जिस पर बीती वाही जानता शब्द नहीं ये कहने के,
कितनो ने बेचे  मकान है, अब तक अपने रेहने के’
खेत, मकान सब बिक चुके है, सिर्फ मांग की रोली में,
कितनी कन्या जा चुकी है इस समाज की होली में,
लाखो घर बर्बाद हो गए इस दहेज़ की बोली में,

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