पगड़ी सिर पर बांधा जाने वाला
परिधान या पहनावा है। पगड़ी धारण करना सिख लोगों के पाँच चिह्नों में से है। पगड़ी
विश्व के अनेक समाजों में प्रचलित थी। भारत में भी पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी
वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी
आयी। प्राचीन काल में सिर को सुरक्षित ढंग से रखने के लिए पगड़ी का प्रयोग किया
जाता था। पगड़ी को सिर पर धारण किया जाता है। इसलिए इस परिधान को सभी परिधानों में
सर्वोच्च स्थान मिला। वास्तव में पगड़ी का मूल ध्येय शरीर के ऊपरी भाग (सिर) को
सर्दी, गर्मी, धूप, लू, आदि से सुरक्षित रखना रहा है|
किंतु अब धीरे-धीरे इसका प्रचलन
काम होता जा रहा है |
पगड़ी धारण करने से
१) क्रान्ति बढ़ती है|
२) केशों के लिए हितकारी होता है |
३) धूल, वात, तथा कफ से रक्षा होती है।
४) पगड़ी हल्की ही उत्तम है।
जूता पैरों में पहनने की एक ऐसी वस्तु है जिसका उद्देश्य विभिन्न गतिविधियां करते समय मानव के पैर की रक्षा करना और उसे आराम पहुंचाना है।
पाँवों में जूतियाँ पहनना
१) नेत्रों को सुखकारक
२) आयु बढ़ाने वाला
३) पाँवों के रोगों का नाशक है |
४) उत्साह बढ़ाने वाला है |
५) शक्ति देने वाला है।

पगड़ी धारण करने से
१) क्रान्ति बढ़ती है|
२) केशों के लिए हितकारी होता है |
३) धूल, वात, तथा कफ से रक्षा होती है।
४) पगड़ी हल्की ही उत्तम है।
जूता पैरों में पहनने की एक ऐसी वस्तु है जिसका उद्देश्य विभिन्न गतिविधियां करते समय मानव के पैर की रक्षा करना और उसे आराम पहुंचाना है।
पाँवों में जूतियाँ पहनना
१) नेत्रों को सुखकारक
२) आयु बढ़ाने वाला
३) पाँवों के रोगों का नाशक है |
४) उत्साह बढ़ाने वाला है |
५) शक्ति देने वाला है।