मानसिक शक्ति बढ़ाने के 15 नियम | 15 Rules To Enhance Mental Power |

सब लोग चाहते हैं कि हमारी मानसिक शक्तियाँ बलवान हों किन्तु वे मानसिक शक्तियों को बढ़ाने के नियमों से परिचित न होने के कारण सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। यदि वे इन साधारण नियमों को जान जाये और विश्वास पूर्वक लाभ उठाए तो वे भी अपनी इच्छाशक्ति को दृढ़ बना सकते हैं और उसके आधार पर सफलता लाभ कर सकते हैं। नीचे कुछ ऐसे ही नियम बताये जाते हैं।

1. सूर्योदय से डेढ़ दो घंटे पूर्व उठो और शौचादि से निवृत्त होकर शुद्ध वायु में टहलने जाओ।
2. पेट में कब्ज न होने दो। हलका और सादा भोजन खूब चबा- चबा कर खाओ।
3. प्रातः शौच जाने से आधा घंटा पूर्व आधा सेर पानी पीओ
4. नित्य गहरी साँस लेने की क्रिया या प्राणायाम करों
5. मन को एकाग्र रखो। व्यर्थ बातों का सोच विचार मत करो। एक समय में एक ही विषय के ऊपर विचार करो। उसी में पूरी शक्ति लगाओ। यदि मन उचट कर कहीं दूसरी जगह जाना चाहे तो उसे रोक कर उसी काम में लगाओ
6. किसी काम को करने से पूर्व खूब सोच विचार लो। जब किसी काम को आरम्भ कर दो तो फिर उसमें किसी प्रकार का भय न करो। उस काम को पूरा करने का दृढ़ निश्चय कर लो और उसी के सम्बन्ध में सोच विचार करो।
7. अपनी शक्ति पर विश्वास रखो, अपने को नाचीज मत समझो। बुरे कामों से घृणा करो। सच्चाई, ईमानदारी और दूसरे के साथ सहानुभूति की भावना कभी मत छोड़ो।
8. नित्य एकान्त में बैठकर ऐसी कल्पना करो कि मेरा मनोबल दिन प्रतिदिन दृढ़ होता जा रहा है।
9. निराश कभी मत होओ। ऐसा विश्वास रखो कि ईश्वर मेरे लिए हितकारक परिस्थिति अवश्य पैदा करेगा।
10. किसी के लिए बुरा मत सोचो। ईर्ष्या, द्वेष को पास मत फटकने दो।
11. हर समय उद्योग में लगे रहो। समय बेकार मत जाने दो।
12. व्यर्थ काम मत करो। कुछ लोगों को चारपाई पर बैठकर पैर हिलाने की, जमीन खोदने की या शरीर को व्यर्थ हिलाने चलाने की आदत होती है यह ठीक नहीं। सदैव शान्त रहो। एक ही काम में शरीर की शक्ति लगाओ।
13. नित्य ऐसी कल्पना करते रहो कि मेरे मस्तिष्क के परिमाण सूक्ष्मतर होते जा रहे हैं और मानसिक शक्तियाँ बढ़ रही है।
14. विचारवान सज्जनों के साथ रहो और सुविचार युक्त पुस्तकें पढ़ो। अपने दुर्गुणों को तलाश करो और उनका परित्याग करो।
15. सदा मुँह पर मुस्कराहट बनाये रखो, दिन में एक बार खूब जी खोलकर हँसो।

देखने में यह नियम साधारण प्रतीत होते हैं। पर इनकी महत्ता बहुत अधिक है। चित्त जगह- जगह भटकने की अपेक्षा जब एक जगह स्थिर होता है, तो उसकी शक्ति सैकड़ों गुनी बढ़ जाती है और उसके बल से सारी मानसिक शक्तियाँ जग पड़ती हैं।