नियमित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए | क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल | Adherence to routine duties | Revolutionary Ram Prasad 'Bismil |

नियमित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए | क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी।

बिस्मिलजी का जीवन इतना पवित्र था कि जेल के सभी कर्मचारी उनकी बड़ी इज्जत करते थे | क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल को जिस दिन फाँसी लगनी थी उस दिन सवेरे जल्दी उठकर वे व्यायाम कर रहे थे। जेल वार्डन ने पूछा आज तो आप को एक घंटे बाद फाँसी लगने वाली है फिर व्यायाम करने से क्या लाभ? उनने उत्तर दिया- जीवन आदर्शों और नियमों में बँधा हुआ है जब तक शरीर में साँस चलती है तब तक व्यवस्था में अन्तर आने देना उचित नहीं है।

थोड़ी सी अड़चन सामने आ जाने पर जो लोग अपनी दिनचर्या और कार्य व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर देते हैं उनको बिस्मिल जी मरते मरते भी अपने आचरण द्वारा यह बता गये है कि समय का पालन, नियमितता एवं धैर्य ऐसे गुण हैं जिनका व्यक्तिक्रम प्राण जाने जैसी स्थिति आने पर भी नहीं करना चाहिए।