भगवान शंकर की सवारी बैल है।
वह बैल पर सवार होते हैं।
बैल
उसे कहते हैं जो मेहनतकश होता है, परिश्रमी होता है।
जिस
आदमी को मेहनत करनी आती है, वह चाहे भारत में हो, इंग्लैण्ड, फ्रांस या कहीं का भी
रहने वाला क्यों न हो- वह भगवान की सवारी बन सकता है। बैल हमारे यहाँ शक्ति का
प्रतीक है, हिम्मत का प्रतीक है।
भगवान सिर्फ उनकी सहायता किया करते हैं जो अपनी सहायता आप करते
हैं।

बैल
हमेशा से शंकर जी का बड़ा प्यारा रहा है। वह उस पर सवार रहे हैं, उसको पुचकारते
हैं, खिलाते, पिलाते, नहलाते, धुलाते और अच्छा रखते हैं।
हमको
और आपको बैल बनना चाहिए यह शंकर जी की शिक्षा है। अर्थात हमें एक मेहनतकश और
परिश्रमी इंसान बनना चाहिए।