इन तीनों को सदैव अपने अधिकार में रखिये—क्रोध, जिह्वा और वासना। Always Keep These Three in Their Rights - Anger, Tongue And Lust |

ये तीनों ही मनुष्य को सर्वनाश की ओर ले जाते हैं।

(1) क्रोध के आवेश में मनुष्य कत्ल करते तक नहीं हिचकता। ऊटपटाँग बक जाता है फिर बाद में हाथ मल−मल कर पछताता है।

(2) जीभ के स्वाद के लालच में मनुष्य का भक्ष अभक्ष का विवेक नष्ट हो जाता है। अनेक व्यक्ति चटपटे मसालों, चाट पकौड़ी, माँस, मछली, अण्डे खाकर अपने स्वास्थ्य एवं पाचन−शक्ति को नष्ट कर डालते हैं।


(3) सबसे मूर्ख वह हैं जोकि अनियन्त्रित वासना के शिकार हैं। विषय−वासना के वश में मनुष्य का नैतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक पतन तो निश्चित है ही, साथ ही गृहस्थ सुख, स्वास्थ्य नष्ट होता है। समाज ऐसे भोग−विलासी की दृष्टि से देखता है।