तीन पर श्रद्धा रखिये | Must Have Faith in Three Patience, Peace and Benevolence |

इन तीन पर श्रद्धा रखिये—धैर्य, शान्ति और परोपकार।

(1) धैर्य कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति की सहनशीलता की अवस्था है जो उसके व्यवहार को क्रोध या खीझ जैसी नकारात्मक अभिवृत्तियों से बचाती है। धैर्यवान होना हमें अनेक लाभ पहुँचा सकता है। यह हमारे चरित्र को मज़बूत करता है और हमें अविचारित, मूर्खतापूर्ण कार्यों को करने से बचाता है। धैर्य रखने का अर्थ शाति के साथ कदम उठाना और परिणाम की प्रतीक्षा करना है। आपने महसूस किया होगा कि जैसे ही हमारा मन धैर्य की नींव पर टिक जाता है, वैसे ही उसका भटकाव खत्म हो जाता है।  धैर्य से कार्य करना हमें सब प्रकार के दुःख से बचा सकता है।

(2) शान्ति मधुरता और भाईचारे की अवस्था है, जिसमें बैर अनुपस्थित होता है। जब आप शांत होते हैं, तभी आपका शरीर अच्छे से काम करता है। शांति और सदभाव किसी भी देश की बुनियादी आवश्यकता है।

(3) परोपकार: 'परोपकार' दो शब्दों के मेल से बना है। पर और उपकार। इसका अर्थ है, दूसरों की भलाई करना। कोई व्यक्ति जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न उद्यम करते हुए यदि दूसरे व्यक्तियों और जीवधारियों की भलाई के लिए कुछ प्रयत्‍‌न करता है तो ऐसे प्रयत्‍‌न परोपकार की श्रेणी में आते है। परोपकार के समान कोई धर्म नहीं है। सूर्य तपता है और रोशनी देता है। हवा बहती हुई जीवन देती है। चन्द्रमा अपनी चांदनी से शीतलता प्रदान करता है। वृक्ष फलों से लदे होते हैं, किन्तु वे स्वंय फल नहीं खाते। नदियां जल से भरी होती हैं, किन्तु स्वयं जल नहीं पीती। पृथ्वी हमारे लिए अपने प्राणों का रस निचोड़ती है।