कल’ शैतान का दूत है। इतिहास साक्षी है कि इस ‘कल पर टालने’ की छुरी ने कितने ही
प्रतिभावानों के गले काट डाले हैं। कितनों की योजनाएं अधूरी छुड़वाई हैं। कितने
“हाय कुछ न कर पाया।” कहते हुए हाथ मलते रह गये। समय को व्यर्थ न गंवाओ, उत्तम
अवसर को मत चूको, जो लाभदायक है उसे आज ही अपनाओ। जो कामकाज हो सकता है उसे कल के
लिए मत टालो। उपयोगी अवसर चूक जाने के बाद फिर पछतावा ही रह जाता है।
पल में परले होयगी, बहुरी करौगे कब ।
सामान्य सी लगने वाली इन दो पंक्तियों में जीवन और समय के महत्त्व का सार भर दिया है । आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए । प्रश्न उठता है कि क्यों नहीं छोड़ना चाहिए? उत्तर यह है कि पता नहीं अगला पल प्रलय का ही पल हो ।
काम को बेगार समझ कर मत कीजिये। काम करते समय झुँझलाइये मत। अपने मन को कार्यों की जटिलता सुलझाने में लगाइये। इससे आपकी निर्णय शक्ति बढ़ेगी और आप जिस कार्य को करेंगे, वह बिना बाधा के ही सम्पन्न हो जायगा।