विद्या का महत्व | Vidya Ka Mahatva | Knowledge lifetime |


विद्या है वो जानकारी और गुण, जो हम दिखाने, सुनाने, या पढ़ाने (शिक्षा) के माध्यम से प्राप्त करते है। हमारे जीवन के शुरुआत में हम सब जीना सीखते है। शिक्षा लोगों को ज्ञान और विद्या दान करने को कहते हैं अथवा व्यवहार में सकारात्मक एंव विकासोन्मुख परिवर्तन को शिक्षा माना जाता है। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

अथर्ववेद के एक मंत्र में कहा गया है- 'शं सरस्वती सह धीभिरस्तु' जिसका भावार्थ यह है कि शिक्षा के द्वारा जीवन में विवेक का गुण जागृत होना चाहिए, जिससे वह बुद्धि के द्वारा दुर्गुणों को छोड़े और सद्गुणों को अपनाए।

ऋषि तिरुवल्लुवर के अनुसार वे मनुष्य बड़े अभागे हैं, जो विद्या पढ़ने से जी चुराते हैं। भिखारी को दाता के सामने जैसे तुच्छ बनना पड़ता है वैसे ही तुच्छ यदि तुम्हें शिक्षकों के सामने बनना पड़े तो भी शिक्षा प्राप्त करना ही कर्तव्य है। मनुष्य जाति के सच्चे नेत्रों के नाम हैं (1) अंक (2) अक्षर। जो पढ़ा लिखा है वही नेत्रवान् है, जिसने विद्या नहीं पढ़ी वह तो अन्धा है। उसके माथे में तो दो गड्ढ़े मात्र है नेत्र नहीं।

विद्वान पुरुष सुगन्धित पुष्पों के समान हैं, वे जहाँ जाते हैं वही आनन्द साथ ले जाते हैं। उनका सभी जगह घर है और सभी जगह स्वदेश है। विद्या धन है। अन्य वस्तुएं तो उसकी समता में बहुत ही तुच्छ हैं। यह धन ऐसा है जो अगले जन्मों तक भी साथ रहता है। विद्या द्वारा संस्कारित की हुई बुद्धि आगामी जन्मों में क्रमशः उन्नति ही करती जाती है और उनके जीवन उच्चतम बनते हुए पूर्णता तक पहुँच जाते हैं।

कुँए को जितना गहरा खोदा जाए उसमें से उतना ही अधिक जल प्राप्त होता जाता है। जितना अधिक अध्ययन किया जाय, मनुष्य उतना ही ज्ञानवान बनता जाता है। विश्व क्या है? और इसमें कितनी आनन्दमयी शक्ति भरी हुई है इसे वही जान सकता है जिसने विद्या पढ़ी है। ऐसी अनुपम सम्पत्ति को उपार्जन करने में न जाने क्यों लोग आलस्य करते हैं। आयु का कोई प्रश्न नहीं हैं, चाहें मनुष्य बूढ़ा हो जाए या मरने के लिए चारपाई पड़ा हो तो भी विद्या प्राप्त करने में उसे उत्साहित होना चाहिए क्योंकि ज्ञान तो जन्म जन्मान्तरों तक साथ जाने वाली वस्तु है।

यदि आपको जीवन में सुख-सम्मान पाना है, अपनी आत्मा को उन्नत बनाकर परमात्मा तक पहुँचने की जिज्ञासा है, तो आज से ही विद्या रूपी धन-संचय करने में लग जाइये। यदि आपकी साँसारिक व्यस्तता आपके लिये अधिक समय नहीं छोड़ती, तो भी थोड़ा-थोड़ा ज्ञान-संचय ही करते जाइये। बूँद-बूँद करके घट भर जाता है। जीवन के जिस क्षेत्र में आपको उन्नति करने की अभिलाषा है, आप जिस प्रकार की सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। उसी विषय एवं क्षेत्र के अध्ययन में निरत हो जाइये।