मुसीबत के वक्त क्या सोचे या विचार करें | What to Think at the
Time of Trouble |
विपत्ति पड़ने पर पाँच प्रकार से विचार करना चाहिए|
1- तुम्हारे अपने ही कर्म का फल है, इसे भोग लोगे तो तुम कर्म के एक कठिन बन्धन से छूट जाओगे।
2- विपत्ति तुम्हारे विश्वास की कसौटी है, इसमें न घबड़ाओगे तो तुम्हें भगवान की कृपा प्राप्त होगी।
3- विपत्ति मंगलमय भगवान का विधान है और उनका विधान कल्याण कारी ही होता है। इस विपत्ति में भी तुम्हारा कल्याण ही भरा है।
4- विपत्ति के रूप में जो कुछ तुम्हें प्राप्त होता है, यह ऐसा ही होने को था, नयी चीज कुछ भी नहीं बन रही है, भगवान का पहले से रचकर रखा हुआ ही दृश्य सामने आता है।
5- जिस देह को, जिस नाम को और जिस नाम तथा देह के सम्बन्ध को सच्चा मानकर तुम विपत्ति से घबराते हो, वह देह, नाम और सम्बन्ध सब आरोप मात्र हैं, इस जन्म से पहले भी तुम्हारा नाम, रूप और सम्बन्ध था, परन्तु आज उससे तुम्हारा कोई सरोकार नहीं है, यही हाल इसका भी है, फिर विपत्ति में घबड़ाना तो मूर्खता ही है, क्योंकि विपत्ति का अनुभव देह, नाम और इनके सम्बन्ध को लेकर ही होता है।
इस बात को याद रखना “डर गए तो विपत्ति है सामना किया तो चुनौती”
स्मरण रखिए, विपत्तियाँ केवल कमजोर, कायर, डरपोक और निठल्ले व्यक्तियों को ही डराती, चमकाती और पराजित करती हैं|