जीवन में सफल कौन होता है| Who is successful in life |

जीवन में सफल कौन होता है| Who is successful in life | 

लक्ष्य के प्रति तन्मयता और और विचारों की एकाग्रता इंसान को सफल बनती है लक्ष्य के प्रति तन्मयता सच्चे साधक की विशेषता है। यह विचार एकीकरण का ही परिणाम है। द्रोणाचार्य ने प्रश्न किया- ''दुर्योधन ! सामने क्या दिखाई दे रहा है ?'' ''आकाश, वृक्ष, पत्तियाँ और चिडि़या जिस पर निशाना लगाना है। ''द्रोणाचार्य ने कहा-  ''तुम्हारा निशाना सही न लगेगा, बैठ जाओ। '' एक-एक करके सारे शिष्य असफल होते गये। अब अर्जुन का नम्बर आया। आचार्य ने वही प्रश्न दुहराया। अर्जुन ने कहा- '' गुरुदेव। मुझे पक्षी की आँख के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता।'' '' बाण चलाओ, आचार्य ने आदेश दिया। तीर सही ठिकाने पर जा लगा। द्रोणाचार्य ने शिष्यों को बताया, 
जिसे लक्ष्य के अतिरिक्त कुछ दिखाई न दे उसी की साधना सफल होती है।
प्रतिभाएँ परमात्मा की देन होती है- ऐसा माना जाता है। इसी कारण हजारों में एक वैज्ञानिक, दार्शनिक अथवा विषय विशेष का निष्णात प्रकाण्ड पण्डित बन जाता है। वस्तुत: परमपिता की यह कृपा बरसती सब पर एक साथ है, लाभ वे ही उठाते हैं जो अपने विचारों को रचनात्मक चिंतन एवं कर्तृत्व में नियोजित कर लेते हैं। महर्षि पतंजलि ने विचारों की एकाग्रता का महत्व समझा, उसे जीवन में उतारा एवं योगदर्शन के रूप में एक महान ग्रंथ मानवता को दे सके।