सार्वजनिक सेवा कर सकने के अधिकारी कौन है?


सार्वजनिक सेवा कर सकने के अधिकारी कौन है?
महात्मा गाँधी जी उन दिनों अपने भाषण के बाद हरिजन फण्ड के लिए चन्दा इकट्ठा किया करते थे। लोग उनकी ओर चल रहे थे और हाथ में पैसे देते जाते थे। महात्मा गाँधी जी के हाथ से एक पैसा गिर गया वे उसे खोजने लगे। धक्का मुक्की में वह मिल नहीं रहा था। 

लोगों ने उन्हें परेशान देखकर कहा- बापू! एक पैसे के लिए इतनी चिन्ता न करें। उसकी क्षति पूर्ति हम कर देंगे। पर महात्मा गाँधी जी उस पैसे को ढूँढ़ते ही रहे और कहा- आप और दें यह अलग बात है पर जो दिया गया है उसे सुरक्षित रखना मेरा कर्तव्य है। यह पैसा मेरा नहीं राष्ट्र का था और जो अमानत मुझे सौंपी गई उसकी सँभाल रखना मेरा कर्तव्य है।

जो लोग सार्वजनिक पैसे की परवा अपने निजी पैसे से भी अधिकार कर सकते हैं वस्तुतः वे ही सार्वजनिक सेवा कर सकने के अधिकारी है।