अनुशासन का अर्थ: अनुशासन कैसा होना चाहिए

अनुशासन का अर्थ: 

अनुशासन कैसा होना चाहिए माधव सदाशिव गोलवलकर हम सभी लोगो में कैसा अनुशासन चाहते है| अनुशासन पर माधव सदाशिव गोलवलकर

हम सभी को पता है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है - अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। अनुशासन का हमारे जीवन में कई लाभ है अनुशासन ना केवल हमारे जीवन को प्रत्येक क्षेत्र में लाभ दिलाता है साथ ही सम्मान भी दिलाता है | अनुशासन द्वारा ही उच्च आदर्शो को व्यक्ति पाता है अनुशासन ही उसे ज्ञान प्रदान करता हैं ।

अनुशासन का अर्थ स्पष्ट करते हुए श्री गुरूजी ने कहा है | अनुशासन में रहने के लिए बाध्य करने वाले कई कारन होते है| एक तो जीवन में स्वार्थ के कारण अनुशासन रहता है| सरकारी ऑफिस में मनुष्य स्वार्थ के कारण ही समय की पाबन्दी स्वीकार करता है | कोई भी रोगी रोगमुक्त होने के लिए नियमित रूप से औषधियों का सेवन और नियमित रूप से परहेज स्वार्थ के कारण ही करता है |

साधारण मनुष्य अपराध नहीं करता, क्यूंकि उसके मन में दंड का डर रहता है |फौजी जवान अनुशासन में रहता है, क्यूंकि जब वह कोई बहादुरी का काम करता है, तब उससे मान सम्मान और तरक्की मिलने की भावना रहती है और यदि गलती की तो कठोर दंड का भय रहता है |


ईसाई और मुस्लिम जीवन में अच्छा बर्ताव करने पर स्वर्ग का आश्वाशन ईसा और मोहम्मद साहब ने दिया है, परन्तु गलत व्यवहार करने पर जहन्नुम में जाने का भय भी दिखाया है |

एक और कारन से जीवन में अनुशासन आता है | वह अनुशासन सर्वश्रेष्ठ होता है | जब किसी श्रेष्ठ लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा रहती है, तब उसे प्राप्त करने के लिए मनुष्य स्वम अपने जीवन में अनेक नियम और अनुशासन अपनी इच्छा से स्वीकार करता है |

अपने लक्ष्य के विषय में स्पष्ट ज्ञान और उसकी प्राप्ति हेतु स्वीकार किये हुए साधन में श्रद्धा भाव होने के कारण यह अनुशासन किसी भी बाहरी विपरीत परिस्थितियों से टूटता नहीं है | इसलिए माधव सदाशिव गोलवलकर हम सभी लोगो में इसी तरह का अनुशासन चाहते है| हैं सभी को ऐसा ही अनुशासन अपने जीवन में लाना होगा तभी हम अपने कार्य के सफल हो सकेंगे |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ