हिन्दू धर्म और विज्ञान | क्या हिन्दू धर्म वैज्ञानिक है |
हिन्दू-धर्म सबसे प्राचीन, श्रेष्ठतम और वैज्ञानिक
धर्म माना जाता है | हिन्दू-धर्म संसार में सर्वत्र मान्य हैं। विश्व के अगणित
विद्वानों, विचारकों तथा दार्शनिकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि यह धर्म कुछ
सिद्धान्तों, संस्कारों या विश्वासों की धर्म-व्यवस्था मात्र नहीं, वरन् उन
आधारभूत वैज्ञानिक तथ्यों पर व्यवस्थित है | इसके प्राचीनतम होने के अनेक प्रमाण
भी उपलब्ध हैं | हिन्दू धर्म विज्ञान आधारित धर्म कहा जाता है |
हिंदु धर्मं में विमान और उड़न खटोले का जिक्र है जिसे हम काल्पनिक समझते थे पर जब आज जब हम राकेट,विमान और हेलीकाप्टर जैसी चीजें देखतें हैं तो हम सोचने पर मजबूर होते हैं कि यह मात्र कल्पना नहीं थी बल्कि प्राचीन समय में भी विज्ञान बहुत उन्नत था |
क्या आप ने कभी भी यह
सोचा है, कि हिंदू के एक गोत्र में शादी क्यों नहीं
होती है, नहीं पता ना तो आइये बताते है इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि इससे
आनुवंशिक बीमारियों का खतरा नहीं होता है | इन्हीं आनुवंशिक बीमारियों से
सम्बन्धित एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि, आनुवंशिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज
है और वो है जींस का अलग होना, यानि कि दो एक जैसे जीन्सों का मिलान न हो, मतलब की
अपने नजदीकी रिश्तेदार में विवाह नही होना चाहिए क्योकि हमारे नजदीकी के तो
रिश्तेदारों में जींस अलग नही हो पाता है और जींस लिंकेज्ड बीमारी जैसे,
हिमोफिलिया, वर्णांधता, और एल्बोनिज्म होने के १०० प्रतिशत अवसर होते हैं | इसलिए
ही आखिर हिन्दू धर्म में हजारों वर्ष पहले से ही एक गोत्र में शादी नहीं होती है |
सूर्य और धरती के बीच की दूरी
सूर्य और
धरती के बीच की दूरी का सटीक अनुमान वैज्ञनिकों ने अब
निकाला है उसका वर्णन हमें हनुमान चालीसा में सदियों से मिलता रहा है | दरअसल
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी हनुमान चालीसा के इस 18वीं चौपाई में सूर्य और
पृथ्वी के बीच की दूरी का वर्णन है।
जुग
सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो
ताहि मधुर फल जानू।।
वैदिक ज्योतिष के आधार
पर एक जुग 12000 वर्ष का होता है | एक सहस्त्र १००० का होता है और एक योजन
में 8 मील होते है | इन तीनो को गुना करने
पर यह ९६०००००० मील होता है | और किलोमीटर में कन्वर्ट करने पर यह लगभग 15 करोड़
३६ लाख किलोमीटर होता है|इसी के आधार गोस्वामी तुलसीदास ने बता दिया था कि सूर्य
और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
तुलसी पूजन
तुलसी पूजन हर भारतीय घर की पहचान है| हमारे पूर्वज तुलसी के औषधीय
गुणों के बारे में जानते थे, इसलिए उन्होंने इसे धर्म से जोड़ दिया। ताकि सभी लोग अपने-अपने
घरों में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। मेडिकल साइंस ने भी माना है कि तुलसी के पौधे में
एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में शरीर
को सक्षम बनाते हैं।
सिंदूर लगाना
सिंदूर हल्दी, नींबू और पारा के मिश्रण से तैयार
किया जाता है। सिंदूर महिला के रक्तचाप को नियंत्रित करता है| इसे जहा पर लगाया जाता
है वहां पर पिट्यूटरी ग्रंथि होती है, जहां पर सारे हार्मोन डेवलप होते हैं। इसके अलावा
सिंदूर तनाव से भी महिलाओं को दूर रखता है।
भोजन की
शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक
अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। वैज्ञानिक
तर्क है की तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते
हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की
तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है
आज योरोप व अमेरिका के वैज्ञानिक डॉक्टर सिद्धि कर
रहे हैं कि साँस के लेने में लाखों न दीखने वाले Bacteria
अन्दर जाते हैं और साँस बाहर निकालने से लाखों बाहर आते हैं। लाखों जहरीले Bacteria हवा में चक्कर काटते हैं जो मनुष्यों को
खतरे में डालते हैं |
हमारे देश में योरोप के मुल्क से अधिक गर्मी पड़ती
है। सूरज की तीव्र किरणों से ऐसे छोटे-छोटे जीव नष्ट हो जाते हैं परंतु फिर भी
हिन्दू धर्म में लाखों वर्षों से यह नियम है कि प्रत्येक वस्तु खाने से प्रथम हाथ
धोकर कुल्ला करके खाई जाय। भोजन खाने से पहिले स्नान करना, धुले हुए कपड़े पहिनना|
यह सब वैज्ञानिक है जिसे ऋषि मुनियों ने हमारे स्वास्थ्य लाभ के लिए खोज करके
प्रचलित किया है।
आधुनिक डॉक्टर बतलाते हैं कि जिन चीजों में बिजली
का करंट प्रवेश नहीं करता उनमें संक्रमण के रोग भी
नहीं घुसती है। बिजली काँच, चीनी, रबड़, लकड़ी में नहीं घुसती इससे इनके द्वारा
बने हुए बर्तनों में भी संक्रमण के रोग का कोई भय नहीं रहता-परन्तु यह बात भी
हमारे यहाँ सदियों से प्रयोग में आ रही है।
हिन्दू लोग लकड़ी के
बने कठौता मुसाफिरों के पानी पीने को कुएं पर डाल देते हैं ताकि कोई भी
जाति का मनुष्य पानी खेंच कर पी सके। घरों में माताएं
बाहर के ठंडे देशों में इन्हीं जर्म्स के नष्ट करने
के लिए धुले हुए कपड़ों पर प्रेस कराई जाती
है। भारत में सूर्य की किरणों में इस्त्री की अपेक्षा अधिक शक्ति है जो कृमियों को
नष्ट करती है इसलिए ही हिन्दू सूर्यदर्शन और सूर्य का प्रभाव मानते और जानते हैं
धूप का सुखाया वस्त्र छाया के सुखाये हुए वस्त्र की अपेक्षा अधिक पवित्र माना जाता
है।
नदी मे सिक्के डालना: आप ने अपने बडो से सुना होगा
की बहती नदी मे सिक्के डालने चाहिए वैज्ञानिक कारण है, पहले जब सिक्के बनाये जाते
थे तो वे तांबे के होते थे जो कि हमारे शरीर के लिए एक बहुत उपयोगी होते है|
उपवास रखने का उद्देश्य चाहे धार्मिक होता है लेकिन इसके पीछे
का वैज्ञानिक सत्य यह है कि उपवास प्रक्रिया से पाचन क्रिया संतुलित और तंदुरुस्त होती
है|
हवन करने का उद्देश्य किसी विशेष पूजा को करना तो होता ही है
साथ ही हवन सामग्री वातावरण को भी शुद्ध करती है.
पूजा करना एक धार्मिक कर्म तो है ही साथ ही यह मन की एकाग्रता
को भी बढ़ाने में सहायक होता है.
पीपल की पूजा यूं
तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दिया जलाने का प्रावधान शनिदेव की पूजन-अर्चना
के रूप में माना जाता है, लेकिन असल में पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता
है|
तिलक लगाना किसी भी पूजा कर्म का आरंभ माथे पर तिलक लगाने से होता
है. लेकिन इस तिलक का दूसरा पहलू यह है कि हमारी दोनों आँखों के बीच में एक नर्व पॉइंट
होता है जहां तिलक लगाकर हाथ के हलके दबाव से उसका संचार बढ़ाया जाता है. इससे एकाग्रता
की शक्ति बढ़ती है और साथ ही मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को भी यह नियंत्रण में रखता
है.
शिखा रखने से न केवल धर्म की पहचान होती है बल्कि आयुर्वेद के अनुसार
सिर के इस भाग में संवेदनशील कोशिकाओं का समूह होता है जिसकी रक्षा शिखा के द्वारा
की जाती है.
योग
आज योग को न केवल भारत में बल्कि
सम्पूर्ण विश्व में मान्यता मिल गयी है. योग शरीर को बाहर और अंदर से स्वस्थ रखने
में सहायक होता है. इन्हीं सब विशेषताओं के कारण हिन्दू धर्म को संसार का सबसे
तर्कसंगत और वैज्ञानिक धर्म माना जाता है.
भारतीय बौद्धिक क्षमता और दर्शन संसार के अन्य
दर्शनों से विलक्षण है। जो बातें आज भौतिक विज्ञान प्रदर्शित कर रहा है, उसे यहाँ
केवल बालकों का खेल समझा जाता रहा है। रावण, भस्मासुर, सहस्रबाहु, यह सब ऐसे ही
वैज्ञानिक थे जिनके कृत्यों को वहाँ बहुत छोटा माना गया है
इस प्रकार हिन्दू धर्म में आहार विहार सब वैज्ञानिक
ढंग से हो रहा है। पवित्र स्थानों पर जूते पहिन कर न जाना, स्नान करके जाना इसका
भी वही कारण है कि, जमीन पर पड़ी हुई गंदगी छूतदार कृमि पैरों (जूतों) द्वारा
पवित्र (सुरक्षित) स्थान में प्रवेश न पा सकें। परन्तु अंगरेजीदाँ लोग इन वैज्ञानिक
बातों को न समझ कर ढोंग-पाखंड बताते है। इनके अतिरिक्त सैकड़ों ऐसे ही काम हैं
जिन्हें हिन्दू धर्म में वैज्ञानिकता के कारण स्थान मिला हुआ है। जिन्हें विदेशी
अब समझ सके हैं। उसे हम लाखों वर्षों से प्रयोग में ला रहे हैं।
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