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क्या आप एक शानदार व्यक्तित्व के स्वामी बनना चाहते हैं? या देवदास की भाँति मुंह लटकाए हताशा निराशापूर्ण जीवन चाहते हैं। नहीं कोई भी ऐसा नहीं चाहता। विशाल वट वृक्ष एक नन्हें से बीज में छुपी रहती है, बहुमंजिली इमारतें उसकी नींव पर टिकी रहती है, ठीक वैसे ही मानव से महामानव बनने का आधार उसका ‘व्यक्तित्व’ ही होता है। चीते की तरह शरीर में फुर्ती, सज्जनों भाँति वेशभूषा व शालीन संभाषण, प्रसन्नचित्त चेहरा, मिलनसारिता, सन्तुलित मस्तिष्क, सादगीयुक्त जीवन, श्रेष्ठ संस्कारवान व्यक्तित्व से भला कौन प्रभावित नहीं होगा।


संसार के सभी मनुष्य सम्मान एवं प्रशंसा प्राप्त करना चाहते हैं, सवाल यह है कि उसे यह सम्मान मिलेगा कैसे? सिर्फ एक ही कसौटी है उसका ‘व्यक्तित्व’ कितना खरा है।

 

प्रभावित करने वाला व्यक्तित्व इतनी आसानी से प्राप्त भी नहीं होता। प्रभावी व्यक्तित्व पाने के लिए अपने आप को बदलना होता है | अगर जिंदगी में कुछ पाना हो तो अपने व्यक्तित्व को बदलो।

 

अपने आपको बदलना तुम्हारे हाथ में ही है।

परिस्थितियों को बदलना आपके हाथ में नहीं हैं |

लोगों को अपनी मरजी से बदलना आपके हाथ की बात नहीं।

जो आपके हाथ की बात नहीं है, उसके लिये आप प्रयत्न करते रहोगे, तो बेकार हैरान होते रहेंगे।

तुम्हारे घर वालों को तुम्हारी आज्ञा का पालन करना चाहिए, यह मत सोचिए।

तुम यह देखो कि तुम उन घर वालों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं कि नहीं, बस इतना ही काफी है और आगे बढ़िए मत। मत यह मत सोचिए कि परिस्थितियाँ आपके अनुकूल बन जायेंगी।

परिस्थितियाँ कहाँ किसी के अनुकूल बन पायी है|

आदमी को ही इसके अनुरूप अपने आप को ढालना होता है |

श्रीकृष्ण भगवान् ने सारे जीवन पुरुषार्थ किया, परिस्थितियाँ कहाँ बनीं उनके अनुकूल, आप ही बताइये?

गृह- कलह हुआ और सारे परिवार के लोग मारे गये, अंततः उनको अपना जो राज- पाट बड़ी मेहनत से जमाया था, सुदामा जी के हवाले करना पड़ा, तो बताइए आपकी परिस्थितियाँ अनुकूल हो सकती हैं?

भगवान् की परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हुईं तो क्या आप ये सपना देखते हैं कि तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जायेगी और तुम्हारी इच्छानुकूल परिस्थितियाँ बदल जायेंगी| अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो गलता है |

यह दुनिया आपके लिये बनी हुई नहीं है। आपकी इच्छा पूर्ति के लिये पात्रता की जरूरत होती है| ऐसा तुम क्यों सोचते हैं कि सब आपकी इच्छानुकूल हो जायेगा।

आप स्वयं को बदल दीजिए। क्या बदल दें? बूढ़े से जवान हो जायें? नहीं, ये आपके हाथ की बात नहीं। ये शरीर प्रकृति का बनाया हुआ है और प्रकृति उसकी मालिक है।

वो जब चाहती है, पैदा करती है और जब चाहती है, समेट लेती है।

असीम बातों के बारे में मत सोचो |

असंभव बातों की कल्पनाएँ मत करो |

मान्यताएँ बनाकर मत बैठो |

इससे तुम्हे सिवाय हैरानी के कुछ नहीं मिलने वाला है |

आप हैरानी में न पड़ें, जो उचित है, उसी को विचार करें, जो सम्भव है, उसी में हाथ डालें।

अपने मन को बदलना तुम्हारे हाथों में है |

अपने ढर्रे को बदलना तुम्हारे हाथों में है |

अपने रवैयों को बदलना तुम्हारे हाथों में है |

अपने सोचने के तरीके को बदलना तुम्हारे हाथों में है |

अपने स्वभाव को बदलना तुम्हारे हाथों में है |

इन सबको बदल देना तुम्हारे लिये बिल्कुल सम्भव है।

 

अभी तक तो आपकी जिन्दगी में दो काम शामिल रहे हैं

एक जिन्दगी के लिये काम करना, उसका नाम है- पेट भरना।

दूसरा काम आपके जिम्मे रहा है- प्रजनन। शादी कर लेना, ढेरों बच्चे पैदा करना, ढेरों के ढेरों बच्चों के बच्चे के वजन को कंधे पे उठाना।

उनकी जरूरतो को पूरा करने के लिये उचित और अनुचित काम करते रहना।

हमेशा दिन और रात चिंता में डूबे रहना, पेट और प्रजनन के लिये|

तीसरा एक और काम भी किया होगा आपने। अपने अहंकार की पूर्ति के लिये, ठाठ- बाट बनाने के लिये, लोगों की आँखों में चकाचौंध पैदा करने के लिये, हो सकता है आपने कुछ ऐसे काम किये हों, जिससे आपको बड़प्पन का आभास होता हो। दूसरों की आँखों में चकाचौंध पैदा करके आप किस तरीके से बड़े बन पायेंगे। बड़ा बनना तो अपने व्यक्तित्व की कीमत और व्यक्तित्व के मूल्य बढ़ा देने के ऊपर है।

हमेशा बोलते हो, हम बड़े आदमी हैं, बड़े आदमी हैं।

अरे, आप क्या बड़े आदमी हैं?

मन आपका बड़ा नहीं है|

व्यक्तित्व आपका बड़ा नहीं है|

संस्कार आपके बड़े नहीं हैं|

तो बड़प्पन का स्थायित्व कैसे रह पायेगा?

सारी जिन्दगी आपकी इन कामों में खतम हो गई है। 

यदि तुम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं तो ईमानदारी से अपने व्यक्तित्व का विश्लेषण करो। और अपनी कमियों को ढूँढ़कर दूर करने का प्रयास करना करो।

अब आप कृपा कीजिए। अपनी जिन्दगी में कुछ नये काम शामिल करिये।

तुम्हे अपने स्वभाव को बदलना होगा|

तुम्हे अपने चिंतन को बदलना होगा|

तुम्हे अपने आचरण को बदलना होगा|

तुम्हे अपने कुटुम्ब के प्रति जो रवैया है, उसे बदलना होगा|

तुम्हे अपने आचरण को बदलना होगा|

जो आपके सोचने का तरीका है, उसको बदलना होगा|

 

कहा गया है- ‘‘जो व्यक्ति जैसा सोचता है और करता है वह वैसा ही बन जाता है।’’

 

व्यक्ति चिंतन के आधार पर कर्म करता है और लम्बे समय तक किया जाने वाला कार्य आदत के रूप में स्थापित हो जाता हैं। आदतें अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कैसी आदत बनाना चाहता है क्योंकि आदतें हमारे व्यक्तित्व के पहचान है कराती हैं।

 

अगर व्यक्तित्व को शानदार बनाना है तो इन आदतों को छोड़ देना चाहिए

जैसे देर रात सोना, सुबह देर में जगना, देर में भोजन करना, बड़ो का सम्मान नहीं करना, बात- बात में गाली देना, ये छोटी- छोटी आदतें ही आपके व्यक्तित्व को निखारने में बाधक होते है अतः यदि आप अपना व्यक्तित्व अच्छा बनाना चाहते हैं तो इन छोटी आदतों से अपने को अच्छा बनाने का प्रयास कीजिए|

 

यदि अपनी दिनचर्या में से अपनी बड़ाई एवं दूसरों की निन्दा चुगली के शब्दों को निकाल दिया जाए तो बोलने के लिए बहुत कम रह जाता है। इससे सज्जन, शालीन, गम्भीर प्रभावी व्यक्तित्व की छवि बनती है।

दुर्गुणों को दूर करने से जो जगह रिक्त होती है उसके स्थान पर श्रेष्ठ सद्गुणों, स्वभावों, संस्कारों, आदतों, का अपने भीतर आरोपण करना व उनका अभ्यास करते-करते उनका विकास करना आत्म निर्माण होगा ।

 

आपको इन सभी को बदल ही देना चाहिए।

अपनी कमियाँ पकड़ में आ जाने पर उनको सुधारने के लिए कमर कसनी होगी जो कमियाँ हमारे स्वभाव में हैं दिनचर्या का अंग बना हुआ है|

अपने समाज को प्रगतिशील बनाने के लिये कुछ न कुछ योगदान देना शुरू करो | अपने समाज को उन्नतिशील बनाने के लिये कुछ न कुछ योगदान देना शुरू करो | अपने समाज को उन्नतिशील बनाने के लिये कुछ न कुछ योगदान देना शुरू करो | ऐसा निर्धारण अगर करके आप, ऐसा कार्यक्रम बनाओ, और उसकी तैयारी में जुट जायें| तो मैं ये कहूँगा कि आपका भविष्य इतना शानदार होगा कि आप देखकर के स्वयं दंग रह जायेंगे| और जो भी आपके सम्पर्क में आयेंगे, वे सब ये कहते रहेंगे कि इस आदमी का कायाकल्प हो गया।

आप ऐसा कर पायें तो आपका जीवन सार्थक हो जायेगा |

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