Golwalkar Ke Vichar - Padosi Dharm kya hai | Golwalkar Thoughts |



Summary:
पडोसी का धर्म | Neighbor's Duty |
अपना कुछ पड़ोस धर्म भी है, जो सबसे बहुत जरूरी है | उस धर्म के अनुसार हमें यह जानकारी करनी चाहिए कि इन पड़ोसियों का जीवनयापन कैसे चलता है | उनकी कठिनाइयाँ क्या है? उनके दुख क्या है? उनकी सहायता में तत्पर रहना पडोसी का धर्म है | पडोसी के साथ कोई गड़बड़ हुई, तो अपना दरवाजा अंदर से बंद करके बैठना पड़ोस-धर्म नहीं है | पड़ोस में कोई अस्वस्थ हुआ तो अपने भाग्य से हुआ होगा, वह जिए या मरे, ऐसा सोचकर उसकी अनदेखी करना पड़ोस का धर्म नहीं है | इसमें पड़ोस धर्म तो दूर की बात रही, मनुष्यता भी नहीं है |

अतः पड़ोस धर्म का पालन करने हेतु घर-घर जाना, सबसे मिलना, बोलना, सबसे अत्यंत स्नेह और आत्मीयता के सम्बन्ध रखने का प्रयास करना और इस बात का भी कि सबके ह्रदय में हमारे बारे में ऐसी धारणा बने कि यह वयक्ति विश्वास करने योग्य है | इसमें अपने प्रति निष्कपट, निस्वार्थ प्रेम है | यह अपना सच्चा मित्र है, अपने को कोई कष्ट नहीं होने देगा, नित्य अपना साथ देगा और जरूरत पड़ने पर सहायता के दौड़ा आएगा | इस विश्वास के बल पर सब पडोसी मानो एक बड़ा परिवार बने, ऐसा हम प्रयास करे, इस प्रकार का वायुमंडल उत्पन्न कर सकेंगे कि संगठित समाज बन सके | जरूरत के वक्त पडोसी सबसे ज्यादा काम आते हैं। इसलिए आस-पड़ोस के सभी रिश्ते सौहार्दपूर्ण बनाने का प्रयास होना चाहिए।


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