हमारे शिक्षक, नेता और अधिकारी कैसे हो? How are our teachers, leaders and officials?

 हमारे शिक्षक, नेता और अधिकारी कैसे हो?

हमारे समाज के निर्माण में अध्यापक, नेता और अधिकारी की एक अहम भूमिका होती है। दोस्तों क्या आप जानते है कि हमारे शिक्षक, नेता और अधिकारी कैसे होने चाहिए | अथर्ववेद में इस बारे में कहा गया है कि

हमारे शिक्षक, नेता और अधिकारी ब्रह्मचारी हों | वे चरित्रभ्रस्ट न हों अन्यथा अनर्थमूलक तत्वों का विकास होगा और राष्ट्र पतित हो जायेगा |

कैसे भी सामाजिक व्यवस्था हो, धीरे-धीरे इसमें कुविचार, स्वार्थ, और दुष्प्रवर्तियाँ अपना सर उठाने लगती हैं | वेद भगवान् ने वर्ण व्यवस्था के अनुसार ब्राह्मणों पर ही यह उत्तरदायित्व रखा है कि वे सदैव जागरूक रहकर राष्ट्र को जाग्रत रखेंगे और बुराइयों से बचाये रखेंगे, वयं राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिता: |

राष्ट्र को चलने वाले शिक्षक, नेता और अधिकारी ही होते है | यही राष्ट्रनायक कहलाते है | आज ये तीनों ही किस स्तर तक स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र को और स्वयं अपने आपको भी पतन के गर्त में गिरा रहे है, इसे हम प्रत्यक्ष देख सकते है |

अधिकांश शिक्षक केवल पैसा बटोरने में लगे रहते है और शिक्षा के पवित्र ज्ञान मंदिर आज खुलेआम भ्रस्टाचार के अड्डे बन गए हैं | स्कूलों और कॉलेजों में हर प्रकार की आवंछिनए घटनाये, दादागिरी, नशा, आदि आम बात हो गयी है | शिक्षक चरित्रहीन हो जाने के फलस्वरूप छात्र केवल अनर्थमूलक असामाजिक ज्ञान ही प्राप्त कर रहे है और उसी मार्ग पर चलकर अपना व देश का भविष्य चौपट कर रहे है |

यही चरित्रहीन व भ्रष्ट छात्र बड़े होकर नेता व अधिकारी बनते है और अपने गुरओं के भी गुरु साबित होते है | अपने ज्ञान, विज्ञान, विद्या, बुद्धि सबका उपयोग अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए ही करते हैं | उनके दिल में न तो मातृभूमि के प्रति श्रद्धा है और न ही राष्ट्रभक्ति की भावना | ऐसे नेताओं व अधिकारिओं की आड़ में आपराधिक व असामाजिक तत्व निर्भय होकर देश व जनता को लूटते है |

उनके विवेकहीन आचरण से जनतंत्र में जनसामान्य की कैसी दुर्दशा हो रही है, यह प्रत्यक्ष दिखाई पद रहा है | भोली भाली जनता इन अक्षम शिक्षकों, नेताओं व अपराधियों का दुराचार सहने पर मजबूर हो रही है |

भ्रस्टाचार और चरित्रहीनता आज अपने चरम पर पहुंच रही है | हर वयक्ति किसी न किसी पद पर पहुँचाना चाहता है | जनता की सेवा की आड़ में वह देश को लूटने के सपने देखता है | इस काम के लिए हर प्रकार के अपराधियों का सहारा लेता है | भोली भाली जनता को साम, दाम, दंड, भेद कैसे भी वश में करने के षड्यंत्र खुले आप करे जाते हैं |

लोगों का इतना आध्यात्मिक पतन हो गया है कि वे किसी भी प्रकार से सत्ता हथियाने का प्रयास करते रहते हैं और सत्ता पा जाने पर तो ऐसा नशा चढ़ता है कि रावण का कद भी उनके आगे छोटा लगने लगता है |

ऋग्वेद में भी यह स्पष्ट निर्देश हैं कि 'आ देवानाम भव: केतुरग्ने' केवल श्रेठ वेक्ति ही जनता कई नेता बने यही ब्राह्मणों का कर्त्तव्य था | परन्तु आज वे स्वयं चरित्रहीन और भ्रष्ट हो गए हैं तथा देश को पतित कर रहे है |

प्रत्येक जागरूक नागरिक का कर्तव्य है कि वे सच्चा ब्राह्मण बने |

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