खुद को शक्तिशाली बनाएं | Motivational Video | Self-help |


Time Stamp:

00:00:09 - A weak person has no right to live.
00:01:55 - Types of power
00:02:20 - Spiritual power
00:03:38 - Mind Power
00:05:36 - Intellectual power
00:06:14 - Physical strength
00:06:57 - Speaking power
00:08:25 - Human body is made up of five elements
00:09:29 - Secret of power


विश्व का प्रत्येक प्राणी यही चाहता है कि वह शक्तिशाली बने| क्योंकि दुर्बल मनुष्य को तो जीने का कोई अधिकार नहीं। "Survival of the fittest" में भी Darwin ने बताई है| इस थ्योरी के अनुसार शक्तिशाली सफल होगा और कमजोर नष्ट हो जायेगा। अर्थात योग्यतम सफल होंगे और वे कमजोरों पर शासन करेंगे क्योंकि वे ऐसा करने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हैं।

दुर्बल मनुष्य से तो भगवान भी रूठ जाते हैं।

अनेक रोग, शोक, भूत, प्रेत उसे आ दबाते हैं।

 

जबकि शक्तिशाली जिधर भी अपनी आँख फेरता है, उसका दबदबा नजर आता है।

शक्तिशाली की पूर्ण सेवा देवता भी करते हैं। आत्म-रक्षा करते हुए जीवन धारण करने के लिए और जीवन को सफल बनाने के लिए सशक्त और ताकतवर बनना बहुत ही आवश्यक है।

शक्तिशाली व्यक्ति के चमत्कारी कार्यों को लोग युगों तक स्मरण करते रहते हैं।

प्राणी मात्र का अनन्त हित साधन करने वाले सभी व्यक्तियों ने किसी न किसी तरह की शक्ति की विशेष रूप से साधना की थी| और अपने अंदर सोई हुई शक्तियों को जागृत व विकसित करके ही वे महापुरुषों की कोटि में सम्मिलित हुए। 

 

शक्तियाँ अनेक प्रकार की होती हैं। स्थूल रूप से उनका वर्गीकरण पाँच प्रकार से किया जा सकता है |

1- शारीरिक शक्ति

2- बोलने की शक्ति

3- बौद्धिक शक्ति

4- मानसिक शक्ति

5- आध्यात्मिक शक्ति

 

इनमें क्रम से एक दूसरे से उच्च स्तर की है और इनमें एक दूसरी का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध भी है।

(1) आध्यात्मिक शक्ति: इन सब शक्तियों में आध्यात्मिक शक्ति सबसे शक्तिशाली है |

भारत के मुनि ऋषियों ने इन पाँचों में से आध्यात्मिक शक्ति को ही सर्वप्रिय माना है।

इसके बिना अन्य शक्तियाँ अनर्थ एवं उत्पात का कारण भी हो सकती

(2) मानसिक विकास

विश्व के सभी प्राणियों का विकास एक सा नहीं होता। उनमें रुचि व प्रकृति, योग्यता की बहुत विचित्रता पाई जाती है। अतः जो व्यक्ति उच्च कक्षा की आत्मिक शक्ति के विकास की योग्यता का अपने में अनुभव नहीं करते या उनकी रुचि ही उस ओर नहीं हो, उनके लिए मन एवं शारीरिक आदि अन्य शक्तियों की उपासना, दूसरा विकल्प है।

 

 (3) बौद्धिक विकास

हमारे यहाँ बौद्धिक विकास के लिए व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था की गई है। विभिन्न ग्रन्थों के अध्ययन से हमारी बुद्धि तीव्र, सूझ पेनी होती है। इशारे मात्र से हम सारी बातों की वास्तविकता को जान सकते है| एवं उलझनों को सुलझा सकते है| बौद्धिक विकास से ही नैतिक विकास संभव है | मनुष्य में नैतिक विकास करना के अंतर्गत ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, निश्छलता की भावना का विकास करना है |यही बौद्धिक शक्ति के विकास का उद्देश्य हैं।

(4) शारीरिक विकास

शारीरिक जीवन के विकास के लिए व्यायाम एवं परिश्रमी जीवन को महत्व दिया गया है।

नियमित व्यायाम के अभ्यास से शारीरिक शक्ति का अद्भुत विकास हो सकता है। सर्कस के खेलों में शारीरिक शक्ति के चमत्कारों को देख लोग दंग रह जाते हैं। हमारे आयुर्वेद में शारीरिक और बौद्धिक शक्ति बढ़ाने वाले अनेक पदार्थों के सेवन की चर्चा है। जिससे पाचन क्रिया ठीक होकर भूख बढ़ती है जो हमारे शरीर को ठीक रखने सहायक है| ऐसे अनेक प्रयोग ग्रन्थों में मिलते हैं। इन सबसे हम शारीरिक शक्ति का विकास कर सकते हैं।

(5) वाचिक शक्ति-

शब्दों में बड़ी भारी शक्ति है। ऋग्वेद के अनुसार, शब्द में दैवी शक्ति होती है। हमारे दिल में किसी के लिए क्या भाव हैं उससे ज़्यादा मायने रखते हैं उसके लिए कहे हमारे शब्द. शब्दों की बहुत अहमियत होती है. आप किसी से बात करते समय कैसे बोलते हैं इससे न स़िर्फ आपके व्यक्तिव का पता चलता है, बल्कि सामने वाले पर भी उसका गहरा असर होता है|

 

वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह प्रमाणित हो चुका है|

कि मनुष्य का शरीर जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश इन पांच तत्वों से निर्मित होता है।

इसलिए पंचतत्वों से निर्मित मनुष्यों के शरीर में जल की शीतलता, वायु का तीब्र वेग, अग्नि का तेज, पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण, ओर आकाश की विशालता समाहित होता है।

 

शक्ति का रहस्य कर्म में छिपा हुआ है। जो क्रियाशील है, वही शक्तिशाली है| जो अकर्मण्य है, निकम्मा है, वह निर्जीव है, जड़ है। शक्ति के आधार पर ही शिशु बढ़ता हुआ पूर्ण मनुष्य बनता है। जिस शिशु की शक्ति क्षीण हो जाती है, उसका विकास रुक जाता है। शक्ति क्षीण हो जाने पर पेड़ सूख जाते हैं, धरती ऊसर और बीज अनुपजाऊ हो जाते हैं। शक्ति क्षीण हो जाने पर आग बुझ जाती है और पानी सड़ जाता है।

 

कर्म ही जीवन है, जीवन ही शक्ति है| और शक्ति ही सारी उपलब्धियों एवं उन्नतियों का मूल है। अस्तु मनुष्य को श्रेय प्राप्त करने के लिये, शक्तिशाली बने रहने के लिये निरन्तर ही अपने अनुरूप कर्म करते रहना चाहिये। ध्यान मनुष्य को शक्तिशाली बनाता है|


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