क्या मेधा बुद्धि ही आत्मबल को बढ़ाती है? | Vedon ka Divya Gyan | Atmabal -011 |


भावार्थ:

विद्वान्, तत्वदर्शी तथा आत्मज्ञानी जन जिस मेधावी बुद्धि के द्वारा संसार में श्रेष्ठ कर्मो का संपादन करते हैं, हे ईश्वर ! हमें भी वह मेधा बुद्धि प्रदान करें |

सन्देश:

बुद्धि के यों तो कितने ही स्तर हैं और उनके कितने ही नाम हैं | अक्लमंदी, चतुरता, होशियारी, सूझ-भूझ, तीक्ष्णबुद्धि, दूरदर्शिता आदि भी बुद्धि विशेष के अर्थ में प्रयुक्त होते हैं | आमतौर पर मस्तिष्क बल को ही बुद्धि बल कहते हैं | जिसका मस्तिष्क अधिक बलवान है, अधिक सूक्ष्म है, अधिक स्फूर्तिमान है, उस बुद्धिमान कहते है | परंतु यह परिभाषा बहुत अधूरी है | कितने ही वयक्ति बड़े ही चालक एवं धूर्त होते है और अपनी बुद्धि प्रयोग बदमाशी, मक्कारी व धोखेबाजी के लिए करते है | ऐसी बुद्धि तो बेकार की चीज है और संसार में हर कहीं आसानी से मिल सकती है | क्या इसी निष्कृष्ट वास्तु के लिए हम भगवान् से प्रार्थना करें?

 

संसार में सफल होने के लिए, सुमार्ग पर चलने के लिए बुद्धि अत्यंत आवश्यक है | बुद्धि द्वारा मनुष्य हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है | 'बुद्धिर्यस्य बलं तस्य' - जिसकी बुद्धि उसका बल | हम परमपिता परमेश्वर से ऐसी बुद्धि प्रदान करने की कामना करते है जो शिव और पवित्र हो तथा हमें सन्मार्ग में प्रेरित कर सके, जो हमें कुमार्ग से बचाकर सुमार्ग पर ले जा सके | ऐसी बुद्धि ही मेधा कही जाती है सत्य-असत्य में, निति-अनीति में विवेकपूर्वक भेद करके हमें अज्ञान के अँधेरे से निकाल कर सद्ज्ञान से आलोकित कर देती है | मेधावी बुद्धि से ही ऋषि-मुनि सत्कर्मों और परोपकार के द्वारा श्रेष्ठता|

 

मेधावी बुद्धि से हमें धन, यश और सुख सभी कुछ प्राप्त होता है | वे हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती है और सब कार्यों को सिद्ध करती है | गायत्री मन्त्र में भी इसी 'धि' (मेधा) को प्रेरित करने की परमात्मा से प्रार्थना करते है - 'धियो यो नः प्रचोदयात्' | परमेश्वर की उपासना का मुख्य उदेश्य यही है की वह हमें मेधावी और तत्वदर्शी बनायें जिससे हमें आत्मा का सच्चा ज्ञान हो और सत्य| संसार में जितने भी श्रेष्ठ पुरुष हुए हैं उन्होंने इसी मेधा बुद्धि से अमरता प्राप्तki है | स्वार्थ त्याग द्वारा पवित्र अन्तःकरण से वे सदैव परोपकार के कार्यों में लगे रहे हैं |

 

मेधा बुद्धि ही अनन्त हमारे आत्मबल में वृद्धि करती है और ऐसी शक्ति प्रदान करती है कि विपरीत परिस्थितियां भी हमें सत्य मार्ग से विचलित नहीं कर पाती हैं | इससे मन निर्मल, शुद्ध और पवित्र हो जाता है तथा उसे वश में रखना सरल हो जाता है | क्रोध, भय, ईर्ष्या, घृणा, काम, लोभ, दंम्भ, मोह आदि की वृतियां|

 

प्रभु कृपा से ही मेधा बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है | जो जितना अधिक परमात्मा की सत्ता से एकाकार होने का प्रयत्न करता है, उतने ही अधिक देवी गुणों की उसमें अभिवर्द्धि होती है और स्वर्गीय आनंद की अनुभूति होती है |

 

मेधा बुद्धि आत्मबल को बढ़ाती है |

 

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