आत्मबल के धनी ही सत्याचरण कर सकते है | Vedon ka Divya Gyan | Atmabal -012 |


भावार्थ:

संसार की विचित्रता को ध्यान में रखकर सदैव सत्य बोलें और आत्मबल प्राप्त करें |

 

सन्देश:

परमेश्वर ने संसार को अनेकानेक विचित्रताओं से परिपूर्ण कर रखा है | अपने बुद्धिबल से मनुष्य इन रहस्यों को उद्घाटित करने में लगा रहता है | 'असतो माँ सदगमय' - असत्य को हटाकर सत्य की और अग्रसर होने की वह कामना करता है |

 

संसार में सत्य की बड़ी प्रतिष्ठा व महिमा है | सत्य बहुत ही उत्तम बल और शक्ति है | सत्यवादी होने से बढ़कर और कुछ भी श्रेयकर नहीं है | सत्य का अर्थ है - जो पदार्थ जैसा है उसको वैसा ही जानना, मानना और प्रकट करना | शास्त्रों ने सत्य को तप और धर्म की संज्ञा दी है | सत्य के अभाव में मनुष्य मनुष्य ही नहीं रह जाता है | असत्यवादी के मुखमंडल पर तेज नहीं रहता है | सत्य न बोलने वाले का विशवास टूट जाता है और साख उठ जाती है | मित्र भी उससे कतराते हैं | मनुष्य को सदैव सत्य भाषण का व्रत लेना चाहिए पर साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सत्य तो बोले पर उसका सत्य कटु न हो | वह सत्य दूसरों के ह्रदय को चोट न पहुंचाएं | वह हितकर भी हो और प्रिय भी |

 

'सत्यमेव जयते नानृतम्' - सत्य की जय होती है, असत्य की कभी नहीं | यह हमारे राष्ट्र का महान ध्येय वाक्य है | अपने अंतःकरण में झांककर हमें यह देखना चाहिए की हम इसका कितना पालन कर रहे है |

 

सत्य बोलने से मनुष्य संसार के बड़े से बड़े पापों से बचकर सुपथगामी बन जाता है | सत्य में बड़ी शक्ति है | इसकी महिमा महान है | सत्य सबसे बड़ा धर्म है और स्वर्ग की सीढ़ी  है | सत्य ही तपस्या और योग से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और झूठ से बढ़कर कोई पाप नहीं है, अतः असत्य को छोड़कर सत्य को ग्रहण करो | राजा हरिश्चंद्र, स्वामी दयानन्द सरस्वती और महात्मा गाँधी ने सत्य के उत्कृष्ट प्रयोग से मानवता को गौरवान्वित किया है |

 

सत्य स्वयं अग्नि है \ उसे कोई और आग प्रभावित नहीं कर सकती - ' सांच को आंच नहीं ' | यह अग्नि दोषों को जला देती है और मनुष्य को निर्मल और पवित्र  बना देती है | असत्यवादी के झूठे आक्षेप सत्यवादी पर प्रभावी नहीं हो पाते है | असत्य भाषण स्वार्थसिद्धि के लिए किया जाता है या परदोष-दर्शन की द्रष्टि से | दोनों दशाओं में अंततः यह मनुष्य के स्वयं पतन का कारण बनता है | जो व्यक्ति कटु वचन बोलता है उसे समाज में बुरी द्रष्टि से देखा जाता है | ऐसे व्यक्तिओं के आचरण ही उनका विनाश कर डालते हैं |

 

सत्य आचरण करने वाला व्यक्ति ही सदाचारी होता है, निरंतर उत्तम मार्ग पर बढ़ता रहता है तथा यशस्वी, वर्चस्वी व तेजस्वी होता है | उसकी कीर्ति पताका संसार में सदा फहराती रहती है | उसके नेत्रों से ज्योति की किरणें फूटती रहती हैं | दुराचारी व्यक्ति उनका सामना करने का साहस ही नहीं कर पते और सदाचारी उनकी शीतलता से अभिभूत हो जाते हैं |

 

आत्मबल के धनी ही सत्याचरण कर सकते है |

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