किसी भी कार्य में सफलता का प्रमुख साधन मनोबल ही है | Vedon ka Divya Gyan | Atmabal – 021 | Yajurveda 34/2 |

 भावार्थ:

मन से ही पारलौकिक साधन तथा लौकिक सुख प्राप्त होता है | यह प्राणिमात्र के भीतर रहता है | इसलिए हमारा मन शुभ कल्याणकारी विचारों में सदैव लगा रहे |

 

सन्देश:

अनेक पुण्यों के फलस्वरूप मानव जीवन प्राप्त होता है | यह मानव जीवन सत्कर्म का साधन है | इसका ठीक उपयोग होने पर मनुष्य शाश्वत आनंद प्राप्त कर सकता है | वेद की शिक्षा है की इस जीवन में मनुष्य का सदा उत्थान हो, कभी भी वह पतन की और न जाय | पुरुषार्थ, उत्साह और स्वावलम्बन का आश्रय लेकर जीवन को अमर बनाये, मृत्यु के बंधन को तोड़कर सदा उन्नति की और बड़े और दीर्घायु प्राप्त करे |

 

मनोबल कार्य सिद्धि का प्रमुख साधन है | जो जिस कार्य में जुट जाता है, वह उसको पूरा कर ही लेता है | संलग्नता, अटूट विशवास और निष्ठा उसे सफलता देती है | उसे धन, ऐश्वर्य, विद्या आदि सब कुछ प्राप्त होता है | दृढ़ निश्चय की महान शक्ति असंभव कार्यों को भी संभव बना देती है | दृढ़ निश्चयी व्यक्ति अपने पथ पर कभी विचलित नहीं होता | पहाड़ भी उसके निर्णय को नहीं बदल सकते | सूर्य की किरणें भी उसके निश्चय के सामने काँप जाती है |

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