Mahatma Gandhi Ji Ke Anusaar Swadeshi Kya Hai? | Do You Know? |

 

महात्मा गाँधी के शब्दों में- 

‘‘स्वदेशी की भावना का अर्थ है हमारी वह भावना जो हमें दूर का छोड़कर अपने समीपवर्ती परिवेश का ही उपयोग और सेवा करना सिखाती है। 


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उदाहरण के लिए इस परिभाषा के अनुसार धर्म के सम्बन्ध में यह कहा जायेगा कि मुझे अपने पूर्वजों से प्राप्त धर्म का पालना करना चाहिए। यदि मैं उसमें दोष पाऊँ तो मुझे उन दोषों को दूर करके उस धर्म की सेवा करनी चाहिए। 

अर्थ के क्षेत्र में मुझे अपने पड़ोसियों द्वारा बनाई गई वस्तुओं का ही उपयोग करना चाहिए और उन उद्योगों की कमियाँ दूर करके उन्हें ज्यादा सम्पूर्ण और सक्षम बनाकर उनकी सेवा करनी चाहिए।’’

          ‘‘स्वदेशी से मेरा मतलब भारत के कारखानों में बनी वस्तुओं से नहीं है। स्वदेशी से मेरा मतलब भारत के बेरोजगार लोगों के हाथ की बनी वस्तुओं से है। शुरू में यदि इन वस्तुओं में कोई कमी भी रहती है तो भी हमें इन्हीं वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए तथा स्नेहपूर्वक उत्पादन करने वाले से उसमें सुधार करवाना चाहिए। ऐसा करने से बिना किसी प्रकार का समय और श्रम खर्च किए देश और देश की लोगों की सच्ची सेवा हो सकेगी।’’- महात्मा गाँधी।

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