व्यायाम करने के क्या फायदे होते है ? Health & Fitness Video in Hindi |

स्वस्थ दिमाग सदैव स्वस्थ शरीर में ही होता है । महात्मा गाँधी ने अपनी आत्म-कथा में लिखा है की वे चाहे कहीं भी रहते, देश में होते या परदेश में, सुबह-शाम सैर करने जरूर जाते थे | मनुष्य का शरीर माँस पेशियों से बनी एक प्रकार की मशीन है। इसका यदि ठीक प्रकार से प्रयोग न करें तो जीवन शक्ति का ह्रास होता है। आलस्य में समय बिताने से माँसपेशियाँ शिथिल पड़ जाती हैं, और पेट की नसें सुस्त पड़ जाती हैं। परिणाम यह होता है, कि स्वास्थ्य के मूल पेट में कब्ज आदि विकार उत्पन्न हो जाते है। स्वास्थ्य तेजी से गिरने लगता है। इस शक्ति की प्राप्ति और शिथिलता को दूर करने के लिए किसी न किसी व्यायाम की आवश्यकता अनिवार्य रूप में होती है।


 

तन्दरूस्ती पाने के लिए व्यायाम आवश्यक है | जीवन रक्षा और शक्ति-सन्तुलन के लिये जिस प्रकार आहार की आवश्यकता पड़ती है उसी प्रकार नियमित रूप से व्यायाम करना भी स्वास्थ्य संरक्षण के लिये जरूरी है। व्यायाम करने से शरीर के दूषित मल विकार शिथिल पड़ जाते हैं और पसीने के रूप में बाहर निकल जाते हैं।
 

चरक संहिता में व्यायाम की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये लिखा है :-
“शरीर चेष्टाया चेष्टा स्थैर्याबल वर्धिनी।
देह व्यायाम संख्याता माभयाताँ समाचरेत्॥
 

अर्थात्-व्यायाम करने से शरीर की शक्ति स्थिर रहती है और बल बढ़ता है।”
व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ होता है और इंसान की आयु को बढ़ाता है | व्यायाम की अति प्राचीन परम्परा आज भी हमारे यहाँ-दण्ड बैठक, कसरत कुश्ती डमबल-मुग्दर आदि के अभ्यास संसार में अपना गौरव पूर्ण स्थान रखती है।
व्यायाम करने से शरीर में सजीवता आती है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है |
 

श्री लार्ड डर्वो का यह कथन अक्षरशः सत्य है “ यदि आप व्यायाम के लिये समय नहीं निकाल सकते तो आपको बीमारी के लिये समय निकालना पड़ेगा।”
 

व्यायाम करने से शरीर में मौजूद विजातीय तत्वों के कारण जो विकार होते है नष्ट हो जाते है |
व्यायाम से स्वास्थ्य संवर्द्धन की दोहरी प्रक्रिया पूरी होती है। पहला शारीरिक अंगों का विकास होता है और दूसरा अंगों में दृढ़ता आती हैं। अनावश्यक तत्व शरीर से निकल जाते है। स्वास्थ्य रक्षा के लिये यह दोनों ही नियम समान रूप से आवश्यक होते हैं।
 

व्यायाम स्वास्थ्य की नींव को मजबूत बनाता है, उसे चिरस्थाई रखता है। व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ, हल्का, सुन्दर, सुदृढ़ तथा सुडौल बनता है।
व्यायाम करने से मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
नियमित व्यायाम करने वाला व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता है |  
व्यायाम करने से रग-पुट्ठों और नसों में गति उत्पन्न होती है।
 

व्यायाम करने से श्वास-प्रश्वास की क्रिया प्रखर होने से छाती और फेफड़ों में मजबूती आती है।
व्यायाम करने से हृदय की गति तीव्र होती है। जिसके कारण रक्ता का सर्कुलेशन तेजी से होने लगता है। इससे जिगर और गुर्दे चुस्त हो जाते हैं।
 

अवस्था के अनुरूप उचित व्यायाम सभी के लिये आवश्यक है। बालक, वृद्ध, किशोर और नवयुवक सभी व्यायाम के अभाव में सुस्त से दिखाई देते हैं।
 

व्यायाम एक प्रकार की स्वाभाविक चेष्टा है। बच्चा जन्म लेने के कुछ दिन बाद ही हाथ, पाँव हिलाने-डुलाने, इधर उधर भागने, पलटने-उलटने, दौड़ने आदि के द्वारा अपना नियमित व्यायाम पूरा करता रहता है।
व्यायाम करने से पाचन क्रिया अच्छी और स्ट्रांग हो जाती है और और खाया गया भोजन भली प्रकार पच जाता है।

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