अगर में राजा होता | If I were the King |

 

साथियों बहुत से लोगों कहते हैं कि मुझे मंत्री या राजा बना दो तो में ऐसा कर दूंगा मेरा तो उनको कहना है कि पहले अपने जीवन और परिवार में तो वो सब करके दिखाओ मेरे भाई | बड़ी बड़ी बातों से क्या होगा ? आपकी परिवार में बनती नहीं है | आये दिन पैसों के लिए रोते रहते हो आप | थोड़ी सी समस्या आयी नहीं की तुम्हारे परिवार का बजट बिगड़ जाता है | एक रिश्तेदार आ जाने पर तुम सोचते हो कब जायेगा | बजट बढ़ रहा है | भाई समझो इस बात को | आपको तो राजा बनने के बाद मिलने वाली सुविधाओं की चमक रहती है |

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किसी देश के राजा को अपनी प्रजा के सुख−दुःख की, राज्यकोष की, कर्मचारियों की कुशलता की, शत्रुओं से सुरक्षा की, उद्दंड अपराधियों के नियंत्रण की, मंत्रिमंडल के संगठन आदि की अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है और प्रत्येक गुत्थी को सही तरीके से सुलझाना पड़ता है। कोई मूर्ख राजा उचित हल न ढूँढ सके और उलटी-सीधी गतिविधियाँ अपनाए तो प्रजा में अशांति, शासन में असंतोष तथा व्यवस्था में गतिरोध उत्पन्न हो जाएगा। ऐसा राजा स्वयं भी नष्ट होता है और अपने राज्य भर में विपत्ति की विभीषिकाएँ खड़ी कर देता है।

मेरे भाई, जीवन को किसी बड़े राज-काज का संचालन करने में ही उपमा दी जा सकती है। राज्य बड़ा होता है, जीवन छोटा, पर गुत्थियाँ दोनों की एक-सी रहती हैं। हाथी बड़ा है, मच्छर छोटा, पर दोनों को ही अपने−अपने निर्वाह की बात समान रूप से सोचनी पड़ती है और उनका हल ढूँढने के लिए समान रूप से दौड़−धूप करनी होती है। जीवन के बाह्य उत्तरदायित्व छोटे हों या बड़े, हर मनुष्य को एक नियत परिधि में अपनी कठिनाइयों का हल आप खोजना पड़ता है और अपना रास्ता स्वयं साफ करना होता है।

इसलिए मेरे भाई तुम राजा हो अपने जीवन के अपने परिवार के उसे सही से चलाओ | तुम्हारे जो काम करने के है उनके बारे में सोचो | अपनी आमदनी बढ़ाने के बारे में सोचो | बच्चों को अच्छी तालीम कैसे मिले इसके बारे में सोचो |

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