उचित रीती से कमाया धन को सत्कार्यों में लगाने से सदगति और पाप कर्मों में लगाने से उसका नाश हो जाता है | Vedon ka Divya Gyan | Atmabal-034 | Rigveda 7/32/18 |

 

भावार्थ:

उचित रीति से कमाया धन, सत्कार्यों में लगाने से सदगति प्रदान करता है और जो पाप के कामों में लगता है उसका नाश हो जाता है |

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सन्देश:

धन का महत्व सर्वत्र है | राजा-रंक, अमीर-गरीब, भोगी-योगी, किसी का भी धन के आभाव में नहीं चल सकता है | इस धन मूलक संसार में हर कोई धन देवता की उपासना में ही व्यस्त है | धन कमाने के उपाय तो करने ही चाहिए परन्तु उपाय ऐसे होने चाहिए जिनको प्रयोग में लाने से श्रेष्ठ पुरुष में निंदा और अपयश न हो, अपितु शुद्ध कमाई हो |

 

सांसारिक व्यवहार चलने के लिए तो निःसंदेह धन आवश्यक पदार्थ है | इसका तिरस्कार करना सर्वथा असंभव है | जैसे अपने वास्तविक उद्देश्य को पाने के लिए शरीर रक्षा आवश्यक है, वैसे ही धन भी जरूरी है | परन्तु मानव जीवन का यह अंतिम ध्येय तो नहीं है | आज हमारी समस्त परेशानियों का कारण यही है कि हमें धन को ही सब कुछ समझ लिया है | उसके आगे हमें कुछ भी दिखाई नहीं देता है | लोग धन कमाने के आगे भगवान का भी ध्यान नहीं रखते है | पर यदि कभी उनके धन कमाने में बढ़ा, व्यवधान या हानि हो जाती है तो भगवान को गलियां अवश्य देते हैं | ऐसा लगता है कि भगवान पर उनके अनैतिक कार्यों में सहयोग देने तथा शान की रक्षा करने का दायित्व है जिसमें वह असफल हो गए हो | धन को ही सब कुछ समझने वाले एकांगी चिंतन से अपने धनी बनने की उलटी-सीधी कल्पनाएं करते रहते है | पर उस अनुचित तरीके से समाज का कितना अहित होता है, इस पर जरा भी ध्यान नहीं देते है | उन्हें तो केवल अपना स्वार्थ ही दिखाई देता है | किसी भी प्रकार उन्हें अधिकाधिक धन कामना है, सोने की लंका बनानी है फिर भले ही अपने अनैतिक आचरणों के फलस्वरूप उसके साथ स्वयं भी भस्म हो जाएं |

 

संसार के सभी गुण सोने (धन ) में छिपे हैं | पर इसके साथ ही धन से काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि अनेक दुर्गुण भी जन्म ले सकते है | परन्तु जब धन ईमानदारी से कमाया जाता है तो इस 'पसीने की कमाई' में एक सुगंध होती है और ऐसा धन सत्कर्मों में लगाने से मनुष्य यशस्वी बनता है | मेहनत से कमाया हुआ धन मनुष्य कभी भी कुमार्ग पर व्यय नहीं करता पर अनीति से जो धन आता है उसे जहाँ कहीं भी बर्बाद कर देने में उसे जरा भी दर्द नहीं होता |

 

ईमानदारी से कमाया हुआ धन सात्विक बुद्धि का विकास करता है और मनुष्य को लोकहित में धर्मानुसार आचरण की प्रेरणा देता है |

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