बड़प्पन को दौलत में मत खोजो ~ Do not seek nobility in wealth ~ Motivation Hindi

 

बड़प्पन अर्थ है श्रेष्ठता या बड़े होने का भाव होना । दोस्तों क्या आप भी बड़प्पन को अमीरी में खोज रहे हो ? बड़प्पन की इच्छा सबको होती है, पर बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उसे कैसे प्राप्त किया जाए। और जो जानते हैं, वे उस ज्ञान को आचरण में भी लाने का साहस नहीं कर पाते है ।

.

मित्रों आमतौर से यह सोचा जाता है कि जिसका ठाठ−बाट जितना बड़ा है, वह उसी अनुपात से बड़ा माना जाएगा। आजकल तो मोटर, बंगला, सोना, जायदाद, कारोबार, सत्ता, पद आदि के अनुसार किसी को बड़ा मानने का रिवाज ही चल पड़ा है।

इससे यह तो पता चलता है कि लोग मनुष्य के व्यक्तित्त्व को नहीं, उसकी दौलत को बड़ा मानते हैं। यदि ऐसा ही है तो मेरे भाई पहाड़ों को बड़ा माना जाना चाहिए, जिनके पास किसी बड़े जमींदार से अधिक जमीन और किसी बड़े किले से अधिक पत्थर होता है। और धातुओं की खानें भी बहुत मूल्यवान होती हैं, फिर उन्हें ही महान क्यों न मान लिया जाए?


मित्रों यह दृष्टिदोष ही है कि बड़प्पन को लोग दौलत में खोजते हैं । पैसा तो कोई चोर-बेईमान भी इकट्ठा कर सकता है। उत्तराधिकार में बाप−दादों की बहुत बड़ी संपत्ति किसी मूर्ख व्यक्ति को भी मिल सकती है। गुणों के अभाव में भी किसी को धन-संपत्ति के आधार पर बड़प्पन की मान्यता का होना एक बड़ा ही गलत दृष्टिकोण है।

इस मान्यता को आम आदमी के मन में स्थान मिल जाने से लोग किसी भी मूल्य पर धनी बनना चाहते हैं | उसके लिए गलत काम करने लगते है | अपने आपको मुसीबत में डाल लेते है | घर परिवार में कलेश पैदा कर लेते है | और कुछ परिवार तो ऐसे है, जिनके पास धन नहीं है, वे भी बड़प्पन के प्रमाणस्वरूप ठाठ बनाने में इतना खरच करते हैं कि उनकी आर्थिक कमर ही टूट जाती है।

मेरे भाई कर्ज के बोझ से लदे हुए, व्यक्तियों में से अधिकांश ऐसे लोग होते हैं, जिसने अपना खरच अंधाधुंध बढ़ाया है। इस बड़े खरच से उनके शरीर, मन, आत्मा तथा परिजनों के विकास में बहुत थोड़ा लगा होता है, शेष तो शान−शौकत के कामों में ही बर्बाद हुआ होता है। कीमती पोशाक और सोने-चाँदी के जेवर इसलिए ही तो पहने जाते हैं कि उन्हें देखकर लोग अपने बड़प्पन का अनुमान लगा सकें। यह बचपन जैसी नासमझी की बातें हैं।

कर्ज, तंगी और परेशानी से वे निरंतर घिरे रहते हैं। कभी-कभी तो आत्महत्या तक कर लेते है और अपने परिवार को मुसीबतों में दाल देते हैं |

मेरे भाइयों आप ऐसा बिलकुल न करे अपने ठाट-बाट के चक्कार में अपना घर बर्बाद न करे | ईमानदारी और नेकी करके अपनी रोजी रोटी चलाओ |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ