कठिनाइयों को देखकर रुको मत ~ Don't stop looking at the Difficulties ~ Motivation Hindi

 

दोस्तों कठिनाइयों को देखकर रुको मत, अपनी गति पर ब्रेक मत लगाओ, अपने मार्ग पर बढ़ते चलो, जीवनोद्देश्य की यात्रा बड़ी लम्बी है मेरे भाई | उस पर चलते-चलते अक्सर यात्री के पैरों में थकान आ जाती है। मार्ग में झाड़-झंखाड़ और कंकड़-पत्थर ऐसे आते हैं, जिनकी ठोकरों से आहत होकर पथिक का साहस टूटने लगता है | वह सोचता है इतना कठिन रास्ता किस प्रकार पार किया जा सकेगा? किस प्रकार इस ऊँची पहाड़ी पर चढ़ा जा सकेगा? एक बार उसका सिर चकरा जाता है और निराशा की ठंडी साँस भर कर हतोत्साह हो जाता है।

मेरे भाई ऐसे अवसर पर ऐसे पथ चिन्हों की तलाश करो जिन पर चलते हुए हमारे से पहले भी कितने लोग इस कठिन मार्ग पर चलते हुए अपने जीवनोद्देश्य की मंजिल को पार करने में सफल हुए थे।

ऐसे निराशाजनक अवसर पर उन सिद्धांतों याद करों, उन आदर्शों का स्मरण करो, जो तुम्हें आत्मा की अमरता का पाठ पढ़ाते हैं और कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

सफलता असफलता का कोई विशेष महत्व नहीं। मंजिल की ओर तुम जितने कदम बढ़ाते जाते हैं उतने ही अंशों में सफलता प्राप्त हो चुकी है। जो मंजिल शेष रह गई उसको एक विराट कार्य समझना चाहिए। असफलता और कुछ नहीं केवल एक कठोर विश्राम काल है, जिस पर ठहरने के पश्चात तुम्हें दुगने उत्साह से आगे बढ़ने उत्साह पैदा होना चाहिए।

मेरे भाई आज कठिनाई है, आज निराशाजनक वातावरण है तो कोई चिन्ता की बात नहीं है। क्या आप जानते हो, रात्रि का अंधकार सदा नहीं ठहरता। सुबह होते ही उषा का प्रकाश होना निश्चित है। केवल धैर्य धारण करने और प्रतीक्षा करने की आवश्यकता होती है। यह कठिनाइयाँ आज नहीं तो कल दूर होकर रहेंगी। आज के काँटे कल फूल बन कर रहेंगे, आज का ग्रीष्म कल पावस की शीतल मन्द सुगंध बनकर रहेगा। इस लिए अपने आत्मबल को बढ़ाते चलो | अपने को बलशाली बनाते चलो | चाहे वह शारीरिक बल हो, चाहे वह आध्यात्मिक बल हो,  चाहे वह धन बल हो, चाहे वह संगठन का बल हो, चाहे वह सत्ता बल हो | यह तुम्हारे जीवनोद्देश्य में सहायक सिद्ध होंगे |

मेरे भाई ! चले चलो, रुको मत, कठिनाइयों को देखकर रुको मत, भय मत करो, तुम आत्मा हो, और आत्मा के लिए निराशा और असफलता का कोई कारण नहीं। लक्ष्य कितना ही दूर क्यों न हो, मंजिल कितनी ही कठिन क्यों न हो, पर चलते रहने वाले तो अपने लक्ष्य तक पहुँच ही जाते हैं। आशा और उत्साह, श्रद्धा और विश्वास तुम्हारा संबंध है। मेरे भाई ! बढ़े चलो, बढ़ना तो प्रत्यक्ष विजय है।

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