अपने अन्दर सद्गुणों के बीजों को खोजिये ~ Find the Seeds of Virtues in Yourself ~ Motivation Hindi

दोस्तों अपने अन्दर सद्गुणों के जितने बीजांकुर दिखाई पड़े, जो अच्छाइयाँ और सत्प्रवृत्तियाँ दिखाई पड़ें, उन्हें खोजते रहना चाहिए। जो मिलें उन पर प्रसन्न होना चाहिए, और उन्हें सींचने-बढ़ाने में लग जाना चाहिए। घास−पात के बीच यदि कोई अच्छा पेड़ पौधा उगा होता है, तो उसे देखकर चतुर किसान प्रसन्न होता है, और उसकी सुरक्षा तथा अभिवृद्धि की व्यवस्था जुटाता है, ताकि इस छोटे पौधे के विशाल वृक्ष बन जाने से उपलब्ध होने वाले लाभों से वह लाभान्वित हो सके। हमें भी अपने सद्गुणों को इसी प्रकार खोजना चाहिए। जो अंकुर उगा हुआ है यदि उसकी आवश्यक देख−भाल की जाती रहे तो वह जरूर बढ़ेगा, और एक दिन पुष्प−पल्लवों से हरा−भरा होकर चित्त में आह्लाद उत्पन्न करेगा।

.


सदा अपने दोष दुर्गुण ही ढूँढ़ते रहना बहुत बुरी बात है। ठीक है कि अपनी त्रुटियों से बेखबर न रहें, उन्हें खोजें और निकाल बाहर करें। पर निरन्तर केवल उसी दिशा में मस्तिष्क को लगाये रहा जायेगा तो अगणित बुराइयाँ ही बुराइयाँ अपने अन्दर सूझ पड़ती रहेंगी। तब चित्त में निराशा उपजेगी और अपने को दुष्ट−दुराचारी मान बैठने की भावना जड़ पकड़ेगी।

जिस प्रकार अपने आपको शिवोऽहम्, सच्चिदानन्दोऽहम्, सोऽहम् आदि की उच्च ब्रह्म−भावना करने से आत्मा स्वसंकेतों के आधार पर ब्राह्मी स्थिति में अवस्थित होकर अपने आपको निरन्तर पापी, दुष्ट, दुराचारी मानते रहने से उसी के प्रमाण खोज−खोज कर अपनी निकृष्टता की ओर दृष्टि करते रहने से आत्मिक स्तर गिरता है।

मेरे भाई जैसा हम सोचते हैं वैसे ही बनते और ढलते हैं यदि अपनी बुराइयों को ही सोचते रहा जायेगा तो धीरे−धीरे अपना रूप वैसा ही बनता जायेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ