दोस्तों हमें पापबुद्धि या अनीति से बचना ही चाहिए | क्योंकि पापबुद्धि के भयंकर दुष्परिणाम होते है | अपना और समाज का बहुत बड़ा नुकसान होता है | जिसकी भरपाई होना बहुत मुश्किल होता है |
मेरे भाई आपने रावण, कंस, जरासंध, हिरण्यकश्यप, वेन, नहुष, दुर्योधन, औरंगजेब, नादिरशाह आदि नृशंस शासकों का नाम तो सुना होगा और पढ़ा भी होगा जिन्होंने अपने मुँह पर कालिख पोती और अन्य अगणित लोगों को उत्पीड़न किया और उन्हें अनेक प्रकार की यंत्रणा देने में कोई कसर न छोड़ी ।
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मुहम्मद गोरी की महत्वकांक्षाओ को तो आप जानते ही हो| मुहम्मद गोरी अपनी महत्वाकांक्षाएँ पूरी करने के लिए क्या-क्या नहीं करता था? क्या नेपोलियन और सिकंदर ने असंख्यों अपराधों के खून से धरती नहीं रंगी। कुमार्ग पर चलने वाले व्यक्ति सारे समाज को ही दुःख देते हैं।
जयचंद का बारे में तो सुना ही होगा जिसने देशद्रोह करके मुहम्मद गोरी को भारत पर आक्रमण करने के लिए बुलाया तो उस कुकृत्य का दुष्परिणाम राष्ट्र को अद्यावधि सहना पड़ रहा है। क्या आप अपने बच्चे का नाम जयचंद रखोगे | नहीं न , तो फिर जयचंद वाला काम करें में तुम्हें शर्म नहीं आती है |
दूसरी ओर एक व्यक्ति की देशभक्ति के कारण इंग्लैंड के मालामाल और समुन्नत हो जाने का भी उदाहरण मौजूद है। शाहजहाँ की पुत्री जहानआरा का इलाज एक अँग्रेज डॉक्टर ने किया था। उससे जब बादशाह ने पूछा कि आपने मेरी बेटी की जान बचाई है, आप को क्या पुरस्कार दूँ? तो उसने अपने लिए कुछ न माँगते हुए इतना ही कहा कि, "मेरे देश से आने वाले माल पर से चुंगी माफ कर दीजिए।" शाहजहाँ ने उसे स्वीकार कर लिया और भारत के बाजार इंग्लैंड के माल से पट गए। उस लाभ से इंग्लैंड जैसा पिछड़ा हुआ देश संसार का अग्रणी राष्ट्र बन गया। इसलिए मेरे भाई देशभक्ति पैदा करो अपने अंदर | अपने देश से प्यार करना सीखो | जिस देश का खाना खाते हो उसका आदर करो | उसमें आग लगाने में मत लगो |
यह दुर्बुद्धि किन्हीं श्रेष्ठ व्यक्तियों को अपने चंगुल में फँसा ले तो उन्हें भी पतन के गर्त्त में धकेल सकती है। विश्वामित्र ऋषि को प्रलोभन आया तो वे मेनका के जाल में फँस गए। पाराशर केवट कन्या पर मोहित हो गए और अपने को सँभाले न रह सके। चंद्रमा ने गुरु पत्नी गमन का पाप कमाया और इंद्र जैसे देवता अहिल्या का सतीत्त्व नष्ट करने के कुकर्म में प्रवृत्त हुए। भीष्म और द्रोणाचार्य जैसे विवेकशील दुर्योधन की अनीति का समर्थन करने लगे।
मेरे भाई इससे प्रतीत होता है कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा तभी तक रह सकता है, जब तक कि उसकी धर्मबुद्धि सावधान रहे। पापबुद्धि के प्रकोप से यदि मनुष्य सँभल न सके तो वह स्वयं तो अंधकार के गर्त्त में गिरता ही है और भी दूसरे अनेकों को अपने साथ पापपंक में ले डूबता है।
इसलिए मेरे भाई पापबुद्धि से दूर रहो और धर्मबुद्धि का अनुसरण करों |
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