हिन्दू राष्ट्र रक्षक महाराजा राजा Suheldev Rajbhar | Unkonwn History India |


 Summary:
चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का इतिहास भारत देश गौरवपूर्ण एवं साहसपूर्ण , देशभक्त के रूप में अमर रहा है। जिसे हिन्दुस्तान मे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

चक्रवर्ती महाराजा सुहेलदेव राजभर जी ने इस्लामिक आक्रान्ता सालार मसूद को बहराइच जो की उत्तर प्रदेश में है, उसकी एक लाख बीस हजार सेना सहित वहीँ दफन कर दिया था |

महान हिन्दू योद्धा राजा सुहेलदेव का जन्म श्रावस्ती के राजा त्रिलोकचंद के वंशज के घर में माघ कृष्ण 4, विक्रम संवत 1053 (सकट चतुर्थी) को हुआ था | राज ज्योतिषी ने कहा कि यह जातक धर्म प्रेमी, धर्म रक्षक महाप्रतापी सम्राट होगा। अत्यन्त तेजस्वी होने के कारण इनका नाम सुहेलदेव रखा गया | सुहेलदेव का अर्थ होता है एक चमकदार सितारा |

विक्रम संवत 1078 में इनका विवाह हुआ तथा पिता के देहांत के बाद वसंत पंचमी विक्रम संवत 1084 को ये राजा बने |
महाभारत के बाद ये दूसरा उदहारण है जब राष्ट्रवादी नायक सुहेलदेव राजभर ने राष्ट्र की रक्षा के लिए २१ राजाओं को एकत्र किया और उनकी फ़ौज का नेतृत्व किया |
बहराइच में बालार्क (बाल+अर्क = बाल सूर्य) मंदिर था, जिस पर सूर्य की प्रातःकालीन किरणें पड़ती थीं |
ग्यारहवीं सदी का प्रारम्भ उथल-पुथल से भरा था। विदेशी आक्रमणकारी भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक सम्पदा को तहस-नहस करने में लगे थे।
विदेशी आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने भी यहां की फूट का फायदा उठाया। उसने जी भर कर भारत की अपार सम्पदा लूटी।
महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई0 के बाद महमूद  गजनवी के भान्जे सैयद सालार मसूद ने उत्तर भारत में इस्लाम का विस्तार करने एवं हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी।
सैयद सालार  साहू  गाजी के साथ एक बड़ी जेहादी सेना लेकर सैयद सालार मसूद गाजी भारत की ओर बढ़ा।
सैयद सालार  मसूद गाजी ने महाराजा सुहेलदेव  राजभर पर आक्रमण कर दिया |
लेकिन महाराजा सुहेलदेव राजभर  की सेना पर इसका कोई भी प्रभाव न पड़ा ।  वे  भूखे सिंहों  की  भाति  इस्लामी  सेना पर टूट पडे मीर नसरूल्लाह बहराइच के उत्तर बारह मील की दूरी पर स्थित ग्राम दिकोली के पास 5 जून 1034 ई को मार दिया ।
सैयर सालार समूद के भांजे सालार मिया रज्जब बहराइचके पूर्व तीन कि. मी. की दूरी पर स्थित ग्राम  शाहपुर  जोत  यूसुफ के पास 8 जून, 1034 ई को मार दिया।
अब हिन्दू  सेना ने राजा करण के नेतृत्व में इस्लामी सेना  के केंद्र पर आक्रमण  किया  जिसका  नेतृत्व सालार मसूद स्वंय कर रहा था। उसने सालार मसूद को  घेर लिया । इस पर सालार सैफुद्दीन  अपनी  सेना  के  साथ उनकी सहायता को आगे बढे भयकर युद्व हुआ जिसमें हजारों लोग मारे गए। स्वयं सालार सैफुद्दीन भी मारा गया | शाम हो जाने  के  कारण  युद्व  बंद  हो गया और सेनाएं अपने शिविरों में लौट गई।
10 जून, 1034 को महाराजा सुहेलदेव राजभर के नेतृत्व में हिंदू सेना ने सालार मसूद गाजी की फौज पर तूफानी गति से आक्रमण किया। इस युद्ध में सालार मसूद कायरतापूर्ण लड़ा, लेकिन अधिक देर तक ठहर न सका ।
राजा सुहेलदेव राजभर ने शीध्र ही उसे अपने बाण का निशाना बना लिया और उनके  धनुष  द्वारा  छोड़ा  गया एक विष बुझा बाण सालार मसूद के गले में आ लगा  जिससे सालार मसूद का अंत  हो गया ।
इसके दूसरे हीं दिन  शिविर  की  देखभाल  करने वाला सालार इब्राहीम भी बचे हुए सैनिको के साथ मारा गया। सैयद सालार मसूद गाजी को उसकी डेढ़ लाख  इस्लामी  सेना  के  साथ  समाप्त  करने  के बाद महाराजा सुहेल देव राजभर ने विजय पर्व  मनाया |  
10 जून 1034 ई0 को बहराइच के युद्ध में महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों से सैय्यद सालार मसूद गाजी मारा गया। इस्लामी सेना की इस पराजय के कारण पुरे वि्श्व मे ऐसा पराक्रम से भय व्यापत हो गया कि भारतवर्ष में 157 वर्षों तक किसी भी विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारियों का भारत देश में आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ ।
ऐसे राजभर राजा महाराज सुहेलदेव राजभर को शत शत नमन।
जय महाराजा सुहेलदेव राजभर।

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Reference:
http://rajbhaar.blogspot.com/2019/01/blog-post_31.html
http://rajbharitihas.blogspot.com/2016/09/blog-post_12.html
https://www.sudarshannews.in/Know-about-history-of-hindu-king-suhel-dev-ji-1846-newsdetails.aspx
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5

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