हम देश के लिए क्या कर सकते है? ~ What can We do for the Country? ~ Motivation Hindi

दोस्तों बहुत से लोग पूछते हैं कि हम देश के लिए क्या कर सकते है? या देश की सेवा कैसे कर सकते है? मेरा उनको यही कहना है कि आप पाने देश की सेवा करना चाहते हो तो सिर्फ दो काम करने होंगे | सबसे पहला कि अपना जीवन से आलस को दूर करना होगा | और दूसरा अपने जीवन में रोग मुक्त रहना होगा | ये दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए है | जैसे ही तुम आलस छोड़ते हो वैसे ही तुम्हारी रोग मुक्ति रहने की गारंटी हो जाती है |

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मित्रों आलस में हमारा आधे से अधिक समय बर्बाद होता है। अनुत्साह और अरुचिपूर्वक किया हुआ कोई भी काम दूना समय लेता है और परिणाम में आधा पूरा हो पाता है।  शारीरिक आलस, वस्तुतः मानसिक आलस की उपज होता है। जो लोग खिच−खिच−खिच−खिच करते तो सारे दिन हैं पर कार्य का परिमाण जरा सा दिखाई देता है उन्हें अनुत्साही और आलसी ही कहा जायेगा। कितने ही लोग बहुत काम होने और फुरसत न मिलने का रोना रोया करते हैं। वस्तुतः उन्हें काम की ठीक व्यवस्था नहीं आती। यदि समय का ठीक विभाग करके, उचित समय में उचित कार्य किया जाय तो अब की अपेक्षा हम दूना-चौगुना काम कर सकते हैं।


साथियों आपको विश्व के श्रम संगठन की रिपोर्ट जानकार आश्चर्य होगा कि भारतीय मजदूर की अपेक्षा अमरीकी मजदूर प्रायः साढ़े तीन गुना अधिक काम करता है। पूरे परिश्रम से काम करने पर परिणाम भी अधिक होता है और उसका लाभ श्रमिक तथा कराने वाले दोनों को ही मिलता है। काम की गति मंद कर देने में दोनों को ही हानि होती है। मित्रों सरकारी दफ्तरों में काम की गति मंद कर देने का इन दिनों एक नया फैशन चला है। बाबू लोग इस कोशिश में रहते हैं कि उन्हें कम से कम काम करना पड़े। जानकारों का कथन है कि बीस वर्ष पूर्व जितना काम एक बाबू निबटाता था अब दो भी उतना नहीं करते। इस प्रकार जड़ता की ओर अन्य वर्ग भी चल रहे हैं। इसका परिणाम न व्यक्ति के लिए श्रेयस्कर है न राष्ट्र के लिए।

मित्रों परिश्रमी लोग ज्यादा दिन जीते हैं अधिक निरोग रहते हैं जब कि आलसी के अंग-प्रत्यंगों में जड़ता का प्रवेश हो जाने से जीवनीशक्ति घटती और दुर्बलता, बीमारी और अकाल मृत्यु की संभावना तेजी से बढ़ती है। स्त्रियों में जब तक चक्की पीसने, पानी खींचने, गोबर थापने आदि का परिश्रम करने की आदत बनी रही तब तक उनका स्वास्थ्य काफी अच्छा रहता था और प्रसव हँसते खेलते हो जाता था।

जिन लोगों ने जीवन में कोई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं उनने समय और श्रम का महत्व पहचाना है।

इसलिए मेरे भाई आलसी प्रवर्ति को त्यागकर देश सेवा में अपना योगदान दीजिये |

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