मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? ~ What is the point of my life? ~ Motivation in Hindi


Purpose of Life: मेरे जीवन का Uddeshya क्या है?  क्या इस प्रश्न का उत्तर आपके पास है। मौनर्टन का कथन है, ‘‘वह आत्मा जिसका कोई निश्चित Uddeshya नहीं है, प्रत्येक स्थान पर भूली रहेगी और अन्ततः कहीं भी नहीं पहुंच सकेगी।’’

Summary:
प्रातः सूर्य के उदय होते ही जिन्दगी का एक नया दिन शुरू होता है और सूर्यास्त होने तक दिन समाप्त हो जाता है। इस तरह रोज एक दिन उम्र से घट जाता है।
‘‘मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?’’ क्या इस प्रश्न का उत्तर आपके पास है। मौनर्टन का कथन है, ‘‘वह आत्मा जिसका कोई निश्चित उद्देश्य नहीं है, प्रत्येक स्थान पर भूली रहेगी और अन्ततः कहीं भी नहीं पहुंच सकेगी।’’ जीवन से अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए आपको प्रारम्भ से ही जीवन के उद्देश्य के विषय में स्पष्ट हो जाना चाहिये।
साधारण इच्छा आपका उद्देश्य नहीं है। अनेक इच्छाएं कल्पनाएं तो मन में क्षण क्षण में उठतीं और नष्ट होती रहती हैं किन्तु उद्देश्य वह है जिसके विषय में अपने मन में स्पष्ट मनः चित्र होना चाहिये। उद्देश्य एक बार निश्चित होने के बाद परिवर्तित नहीं हो सकता।
मन का विभ्रम, मन की चंचलता, मन का क्षणिक आवेश या मन की उत्तेजना उसे नष्ट नहीं कर सकतीं। इसमें भावना अधिक महत्वपूर्ण होती है, विचार का इतना महत्वपूर्ण नहीं होता है ।
जिस उद्देश्य की ओर तुम्हारा अन्तःकरण उन्मुख होता है, जो तुम्हारी आत्मा की आवाज पुनः पुनः कहती है, जिसकी ओर तुम स्वतः प्रेरित हो, और जिसे सम्पन्न करने में तुम अधिक से अधिक अपना और संसार का कल्याण समझते हो, वही तुम्हारे जीवन का उद्देश्य है।
तुम्हारी भावना और संस्कारों का झुकाव अपने आप इस उद्देश्य की ओर होगा। भावना हमारे विचार और बुद्धि का सृजन करती है और कार्य करने को उत्साहित करती है। भावना साधारण कल्पना से ऊंची और दृढ़तर वस्तु है। इसकी जड़े अव्यक्त मन के अतल क्षेत्र में गहरी जाती हैं।
भावना तुम्हारी रुचि का निर्माण करेगी। तुम्हें इस कार्य को करने में स्वतः आनन्द आने लगेगा । तुम आनन्द पूर्वक इसमें दिलचस्पी लोगे। महान् पुरुषों के जीवन चरित्रों का अध्ययन करने पर हमें मालूम होता है कि वे किसी विशेष बात में दिलचस्पी रखते थे।
इस रुचि का स्पष्टीकरण दो प्रकार से हुआ
1— उनके पास एक निश्चित उद्देश्य था, उनके पास एक निश्चित योजना थी, उनके पास एक काम को करने की बलवती धारणा थी
2—उसे प्राप्त करने के लिए साधनों का निर्माण हुआ। संक्षेप में कहा जाये तो वे महात्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण व्यक्ति थे।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि बिना उद्देश्य वाला व्यक्ति ऐसा होता है जैसे ऑक्सीजन बिना जीवन। सभी को लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए जो उन्हें उंचाईयों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करेगा।
हम उदार बनें, साहस पैदा करें और आध्यात्मिक जीवन की कठिनाइयों को झेलने के लिए उठकर खड़े हो जांय, फिर देखें कि जिस महानता की, उपलब्धि के लिये हम निरन्तर लालायित रहते हैं वह सच्चे स्वरूप में मिलती है या नहीं।
सत्य हमारे अन्दर छुपा है उसे धर्म के द्वारा जागृत करो। शक्ति हमारे भीतर सोई पड़ी है उसे साधना से जगाओ, जीवन की सार्थकता का यही एकमात्र मार्ग है।

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