जीवन का रास्ता कौन भूलता है? ~ Who forgets the way of life?

साथियों रास्ता वह भूलता है, जिसे बताने वाला नहीं होता या फिर बताने वाले की बात सुनने की जिसे फुरसत नहीं होती है । अंतरात्मा में बैठा हुआ ईश्वर हमें उचित और अनुचित की, कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य की प्रेरणा निरंतर देता रहता है। जो इंसान उसे सुनेगा, जो इंसान उसका महत्त्व समझेगा और जो इंसान सम्मान करेगा, उसे सीधे रास्ते पर चलने में कोई कठिनाई न होगी | और जो सीधे रास्ते चलता है, उसे लोक में सुख और परलोक में शांति की कभी भी कमी नहीं रहती है । 

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यश, प्रतिष्ठा और सम्मान उसके पीछे फिरते हैं। भले ही धन की दृष्टि से वह अमीर न हो पावे, पर महत्ता उसके चरणों पर लोटती रहती है। मेरे भाइयों ऐसा इंसान महापुरुषों और नररत्नों में ही वह गिना जाता है। ईश्वर को जिसने पहचाना है और अपनाया है, वह नर से नारायण और पुरुष से पुरुषोत्तम बनकर रहता है।

ऐसा इंसान सदाचार का जीवन जीता है | ऐसा इंसान कर्त्तव्य परायण होता है | ऐसा इंसान आत्मविश्वास से भरा होता है | ऐसा इंसान निर्भयता से जीवन बिताता है | ऐसे इंसान में आशा और धैर्य पाया जाता है | वह आनंद और संतोष का जीवन बिताता है |

मेरे भाई यही सब तो आस्तिकता के चिह्न हैं। जैसे−जैसे ईश्वर में विश्वास बढ़ता जाता है, वैसे-ही-वैसे यह महानताएँ अपने आप उत्पन्न होती जाती हैं। जीवन की सार्थकता और सफलता भी इन्हीं बातों पर तो निर्भर है। और इंसान अपने जीवन के रास्ते को कभी नहीं भूलता है |

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