अपने जीवन को स्वावलम्बी बनाओ ~ Make your life self-reliant

 


स्वावलंबन का मतलब है, आत्मनिर्भरता, हम सभी को आत्मनिर्भर बनना होगा और समाज में आत्मनिर्भरता की व्रती को बढ़ाने का प्रयत्न करना होगा | क्योंकि किसी भी व्यक्ति या समाज की उन्नति उसके अपने स्वयं के पैरों की ताकत पर निर्भर करती है | हमें दूसरों की सहायता के बिना अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए |
आज जो बड़े-बड़े अमीर, कामयाब इन्सान है, उन्होंने भी स्वावलम्बन का हाथ थामा है | पहले वे लोग खुद स्वावलम्बी बने और बाद में हजारों को स्वावलम्बी बना रहें है |
 

हम न तो अंधे है, न ही लंगड़े है फिर क्यों हम दूसरों पर निर्भर रहे ? अपनी उन्नति के लिए दूसरों का मुँह क्यों ताके ? क्यों हम दूसरों के पांव से अपना पांव बांधे ? ऐसा करने से नीचे गिरने के सिवाय कुछ हाथ नहीं आएगा | यदि हम दूसरों के पैरों में बँधना ही चाहते है, तो हमें यह विश्वास होना चाहिए कि जिसके साथ हमारा पैर बंधेगा, वही हमें घसीट कर न ले जाए | वरन हम उसको अपने साथ खींच सकेंगे | दुर्बल आदमी का, बलवान के साथ पैर के साथ पैर बांधने की चेष्टा करना नीरा आत्मघात है | अतः दुर्बल मनुष्य स्वावलंबी बने और अपनी दुर्बलता नष्ट करें |
 

स्वावलम्बी व्यक्ति कभी भी अपने कर्तव्य से नहीं भागता है क्योंकि वह अपने कर्तव्यों को भली प्रकार जनता है |
हम में से हर एक आदमी को कोई न कोई धंधा या व्यवसाय करना जरूरी है, जिससे हमारा और हमारे आश्रित हमारे परिवार वालों का जीवन-निर्वाह हो सके। हर एक आदमी को स्वयं अपने हित के लिए भी स्वावलम्बी होना चाहिए। यह बात इतनी सरल और स्वाभाविक नहीं होती। सभी आदमी इसे ठीक समझते हैं तो भी वर्तमान अवस्था में इस पर बहुत जोर देने की और इसे कुछ साफ करने की जरूरत है।
 

एक नागरिक कोई न कोई व्यवसाय करने वाला, स्वावलम्बी जीवन बिताने वाला होना चाहिए। हमें अधिक नहीं तो उतना तो समाज को देना ही चाहिए, जितना उससे लेते हैं।

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