क्या आलसी और कामचोर लोगों को संसार में कोई श्रेय मिलता है?

 

दोस्तों अगर आप अपने आसपास नजर उठाकर देखोगे कि बहुत से आलसी और कामचोर लोग मिलेंगे जो ईश्वर की अनायास कृपा की प्रतीक्षा में रहते है |

मेरे भाई इस बात को हमेशा याद रखना ईश्वर हमेशा उनकी ही सहायता करता है जो अपनी सहायता करने के लिए तैयार रहते है | मान लो कुछ लोग आपको मारने के लिए आ रहे है तब आप भगवान् से मदद मांगने लगते हो, तो यह गलत है भगवान् ने दो हाथ दिए है शरीर दिया है किसलिए अब भी मदद के लिए भगवान् को बुला रहे हो | क्या आप जानते हो सिर्फ एक लाख अंग्रेजो ने पूरे भारत को २०० गुलाम बनाये रखा | इसी भगवान् की कृपा के भरोसे रहने के कारण, पर जब पूरा देश उठ खड़ा हुआ तो देश आजाद हो गया |

दोस्तों ईश्वर की अनायास कृपा की प्रतीक्षा करने वाले अकर्मण्य लोग संसार में कोई श्रेय प्राप्त नहीं कर सकते। क्योंकि उसकी ऐसी कृपा का कोई अस्तित्व नहीं है। वह न लोक में है और न परलोक में |

श्रेस्थता तो कर्मठ लोग अपने-अपने पुरुषार्थ के अनुसार उत्पन्न करते हैं। अपनी इस विशाल सृष्टि में जब परमात्मा ने अनन्त वैभव, अनन्त ऐश्वर्य और अनन्त साधन भर देने की पहले से ही अनन्त कृपा कर दी है, तो उनको पाने, उठाने और चूमने के लिये उसकी कृपा आशा करने का क्या अर्थ है।

इसका अर्थ तो यह है कि जो राह बतलाये वह साथ चले, जो भोजन दे वह हाथ से खिलाये भी। कैसी विचित्र विलक्षण और आलोकित बात है। विभूतियों का भण्डार भरा पड़ा है। सफलताओं के सागर लहरा रहे हैं और श्रेय संसार में सब और दीख रहे है।

मेरे भाई कोई भी पुरुषार्थ तथा परिश्रम द्वारा पात्रता प्रमाणित करके उनको प्राप्त कर सकता है। इस सुविधा, सरलता और अवसर के होते हुए भी यदि कोई हाथ पर हाथ रखे हुए उन्हें योंही बैठा रहे, बैठा-बैठा मुँह ताकें और हर आकांक्षा के लिये तरसे तो में यह कह दें चाहता हूँ उसके भाग्य में न तो श्रेय मिलेगा और न यश | वह तो दरिद्र ही बना रहेगा |

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