केवल धन के पीछे मत भागो मेरे भाई | ~ Don't run after Money only my Brother. ~ Motivation Hindi

आज धन के लिए हर व्यक्ति प्यासा-सा फिरता है। धन, अधिक धन, और अधिक धन यह एक ही पुकार हर दिल और दिमाग में से उठती सुनाई देती है। धर्मध्वजी संत-महंतों से लेकर जेबकतरे और चोर-डाकुओं तक हर वर्ग के लोग धन की आकांक्षा से अपने-अपने चरखे चलाते रहते हैं। विचार करने की बात यह है कि क्या धन की उतनी ही आवश्यकता है, क्या गरीबी इस सीमा तक पहुँच गई है कि मनुष्य को निरंतर धन के लिए उद्विग्न हुए बिना काम न चले? बात ऐसी बिलकुल भी नहीं है। 

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भगवान ने इतनी वस्तुएं और साधन-सामग्री इस धरती पर पहले से ही पैदा कर रखी है कि मिल-बाँटकर मनुष्य अपना गुजारा कर सके और शांति और आनंद के साथ हिल-मिलकर प्रेमपूर्वक जीवनयापन करते हुए लक्ष्य प्राप्ति के लिए अग्रसर हो सके।

मेरे भाई इंसान को जीवन में तीन प्रधान भौतिक आवश्यकताएँ हैं - रोटी, कपड़ा और मकान। यह आवश्यकताएँ इतनी छोटी और थोड़ी हैं कि बड़ी आसानी से थोड़े ही समय के उचित श्रम में उन्हें पूरा कर सकते हैं।

यहाँ तक कि गरीब कहे जाने वाले लोग भी इन तीनों आवश्यकताओं को पूरा कर लेते हैं और संतोषपूर्वक हँसते-खेलते जीवन व्यतीत करते रहते हैं। इसके विपरीत वे लोग हैं, जिनके यहाँ सब कुछ होते हुए भी दिन-रात धन की हाय-हाय लगी रहती है। अशांति, बेचैनी, चिंता और परेशानी से रहित जिनका एक क्षण भी व्यतीत नहीं होता। मेरे भाई, ऐसे लोग वस्तुतः बड़े दयनीय हैं। बेचारे न जीवन का मूल समझ सके और न उसका लाभ प्राप्त कर सके। इन अभागों की दुर्दशा पर केवल दुःख के आँसू ही बहाए जा सकते हैं। असंतोष की आग में जलते रहने वाले ये अमीर वस्तुतः विशाल अस्पताल के कीमती पलंगों पर पड़े हुए वे रोगी हैं, जो आग से झुलसे हुए हैं, जिनके बाहर और भीतर आग ही, जलन-ही-जलन पीड़ा दे रही है। कीमती इमारत एवं बहुमूल्य पलंग का क्या सुख इन बेचारों को मिल सकेगा?

इसलिए मेरे भाई केवल धन के पीछे मत भागो |

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