तुम बहुत महान हो ~ Motivation Hindi


तुम महान हो। (You are Great )
तुम्हारे हिस्से में स्वर्ग की अगणित विभूतियाँ आई हैं न कि नर्क की यातनाएँ और तुमको वही लेना चाहिये, जो तुम्हारे हिस्से में आया है। वह स्वर्ग इस संसार में ही है। वह तुम्हारे भीतर है। उसे खोजने का प्रयत्न करो, तुम उसे अवश्य प्राप्त कर सकोगे |
तुम्हारा मनुष्य होना ही इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारी शक्ति अनंत है। संसार की ओर आँख उठाकर देखो। प्रकृति पर तुम्हारा ही स्वामित्व है, बड़े से बड़े पशु तुम्हारे  संकेत पर नृत्य करते हैं। ऊँची से ऊँची वस्तु पर तुम्हारा पूर्ण स्वामित्व है। तुमसे शक्तिशाली प्राणी पृथ्वी पर दूसरा नहीं है। तुम्हारी बराबरी करने वाले अन्य जीव इस संसार में नहीं है |
हे मनुष्य! तू कितना शक्तिशाली है। तेरे प्रत्येक भाग में शक्ति का अस्तर लगाया गया है, और वह इसलिए कि तू निर्भयता से पृथ्वी पर राज्य कर सके ।
तू  दुर्गम पर्वत पहाड़ों में भी रास्ते बना सकता है | तू नदियों के रुख को भी मोड़ देने की शक्ति रखता है | तू धरती से अमृत पैदा करने की समर्थ रखता है | तू अपनी बुद्धि के बल पर धरती और आकाश में भी जा सकता है |
“तेरे बल की कोई सीमा नहीं है, जिन साधनों से सम्पन्न करके तुझे इस पृथ्वी पर भेजा गया है वे अचूक है, उनके आगे कोई भी ठहर नहीं सकता है।”
“तुझमें शारीरिक शक्ति का भण्डार है, तेरे हाथ पाँव, छाती और पुट्ठों में शक्ति इसीलिए दी गई है कि कोई तुझे दबा न सके, तेरी बराबरी न कर सके, जहाँ तेरी शारीरिक सम्पन्नता कार्य न कर सके, वहाँ कार्य के लिए तुझे बुद्धि की असीम शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। इनकी ताकत अनेक इंद्रवज्रों से उत्कृष्ट हैं। इनके आगे दूसरे की नहीं चल सकती।”
“तुझमें असीम सामर्थ्य विधमान है, शक्ति का पुँज तुम्हारे अंदर भरा पड़ा है। तुझे किसी के आगे हाथ पसार कर माँगने की आवश्यकता नहीं है। तुझे किसी देवी-देवता की कृपा की आवश्यकता नहीं है। संसार की किसी भी शक्ति में इतनी हिम्मत नहीं कि तुझे विचलित कर सकें।”
“तू निष्पाप है, तू आनन्द है, तू अविनाशी आत्मा है, तू सच्चिदानन्द रूप है, तू शोक रहित, भय रहित, नित्य मुक्त स्वभाव वाला देव है। न दुःख, न क्लेश, न रंज, न भूत, न प्रतिद्वंद्वी-तुझे अपने जन्म जाति अधिकारों से कोई विचलित नहीं कर सकता। वासनाएँ तुझे मजबूर नहीं कर सकती।”
“तू ईश्वर का महान् पुत्र है। ईश्वर की शक्ति का ही तेरे अंदर प्रकाश है। तू ईश्वर को ही अपने भीतर से कार्य करने दे। ईश्वर को स्वयं प्रकाशित होने दें। तू ईश्वर जैसा ही बन कर रह। तू ईश्वर होकर खा, पी, और ईश्वर होकर ही साँस ले, तभी तू अपनी महान् पैतृक सम्पत्ति का स्वामी बन सकेगा।

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