हर समस्या का समाधान मित्रो, व्यक्ति के दृष्टिकोण के साथ जुड़ा हुआ है।
गवर्नमेंट हमारे रिश्तों को अच्छा कर देगी? नहीं कर सकती।
हमारे सेहत को गवर्नमेण्ट अच्छा नहीं कर सकती।
हमारा खान-पान ठीक नहीं हैं, ब्रह्मचर्य के ऊपर हमारा संयम नहीं है, आहार-विहार के ऊपर हमारा संयम नहीं है, सफाई-स्वच्छता का ज्ञान हमें नहीं है, तो क्या आप समझते हैं कि किसी भी देश की जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी कोई गवर्नमेण्ट उठा सकती है। नहीं उठा सकती है।
यह तो स्वयं ही समझना होगा कि हमें क्या करना चाहिए, क्या खाना चाहिए और कैसे रहना चाहिए।
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अगर यह बातें समझ में आ जायेंगी तब हमारे स्वास्थ्य की समस्या का समाधान हो जायेगा।
जनता के मन में यदि एक जागृति का स्वभाव आ जाये कि हमें अपने प्रति, राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाना है तो फिर क्या कुछ नहीं हो सकता।
क्या हनुमान जी मिनिस्टर नहीं बन सकते थे? हाँ, वे भगवान राम की हुकूमत में मिनिस्टर बन सकते थे, उनके मंत्री बन सकते थे, लेकिन वे मिनिस्टर नहीं बने।
उन्होंने कहा-इस काम के लिए तो ढेरों आदमी विद्यमान है, लेकिन जो मुश्किल का काम है, कठिनाई का काम है, कष्ट का काम है त्याग का काम है, बलिदान का काम है, वह कौन करेगा?
हनुमान जी ने सेवा को सबसे बड़ा काम समझा सत्ता को नहीं, और शुरू से अंत तक उसी में निमग्न रहे।
सत्ता की अपेक्षा सेवा को जब लोग अच्छा समझने लगेंगे तब मजा आ जायेगा और हमारा राष्ट्र राजनीति की दृष्टि से ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से नेकी की दृष्टि से उन्नति के शिखर पर जा पहुँचेगा और तब समस्त समस्याओं का समाधान होता हुआ चला जायेगा।
हर बात के लिए गवर्नमेंट से शिकायत करना या और किसी का मुख देखना मुनासिब नहीं है। कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें हमें स्वयं करना चाहिए।
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