मन में आशा, स्फूर्ति और दृढ़ता से तुम जल्दी स्वास्थ्य लाभ कर सकते है ~ Motivation Hindi


 
दोस्तों आशा और उत्साह उत्पन्न करके साधारण स्थिति का मनुष्य भी असाधारण बन सकता है और अपनी हम लौकिक कठिनाई पर अपना मानसिक परिवर्तन करने पर निश्चित रूप से विजय प्राप्त कर सकते हैं।

स्वास्थ्य के सम्बन्ध में तो यह तथ्य सुनिश्चित है। यदि किसी व्यक्ति की हालत कष्ट साध्य के कारण मरने के समान हो गयी है, यदि उसको आशा, स्फूर्ति और दृढ़ता की भावनाओं से प्रोत्साहित  किया जाए तो इसके अच्छे होने की संभावना तीन-चौथाई बढ़ जाती है। मित्रों किसी रोगी व्यक्ति को यदि आशावादी बनाया जा सके तो उसका आधा रोग तुरन्त दूर हो जाता है।

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मेरे भाई तुम्हें यह जानकार हैरानी होगी कि पदार्थ विज्ञान की तरह ही मनोविज्ञान भी एक स्वतन्त्र विज्ञान एवं महान शास्त्र है। जिस प्रकार भौतिक विज्ञानी अपनी प्रयोगशालाओं में प्रकृति के मूलतत्वों की क्षमता का पता लगाकर उनके द्वारा विविध प्रकार के आविष्कार करने में समर्थ होते हैं उसी प्रकार मनोविज्ञान की भी अपनी सत्ता और महत्त्व होता है।

मनुष्य की मनः स्थिति में हेर−फेर करके उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अद्भुत क्रान्ति उत्पन्न की जा सकती है। शारीरिक दृष्टि से सभी मनुष्य लगभग एक समान हैं, उनकी कार्य क्षमता एवं परिस्थितियों में भी कोई विशेष अन्तर नहीं होता। परन्तु एक व्यक्ति से दूसरे के बीच जो जमीन आसमान जैसा अन्तर दिखाई देता है, इसका एकमात्र कारण उसकी मन की स्थिति है।

मेरे भाई देवता और असुर इस मनुष्य के शरीर में ही रहते हैं उनकी आकृति में नहीं प्रकृति में अन्तर होता है। गुण, कर्म, स्वभाव में अन्तर आने से, आन्तरिक स्तर में हेर−फेर होने से आज के जीवन के क्रम में कल दुरात्मा कुसंस्कारी एवं दीन−हीन प्रकृति का मनुष्य अपने में आवश्यक हेर−फेर करके संत, सत्पुरुष एवं महामानव बन सकता है। इसके विपरीत यदि वह पतन के मार्ग की और अपनी प्रवर्तियों को लगता है, तो आज जो श्रेष्ठ समझे जाते है वह व्यक्ति पतित एवं घृणित बन सकते हैं।

शरीर की स्थिति यदि तुम्हें सुधारनी हो तो स्वास्थ्य की उपेक्षा करने की अपनी बुरी आदत छोड़ना पड़ेगा| तुम्हें अपनी दिनचर्या के प्रत्येक अंग पर आरोग्य की दृष्टि से विचार करना होगा | जहाँ सुधार की जरूरत है वहाँ तुमको छोटी−मोटी अड़चनों का विचार करना होगा | तुम्हें आरोग्य की महत्ता को सर्वोपरि समझते हुए, आवश्यक हेर−फेर करने में जुट जाना पड़ेगा।

यह भावना जिस दिन तुम्हारे अंदर दृढ़ता का रूप धारण कर लेगी, जब वह कल्पना न रहकर क्रिया बन जायगी, उसके दूसरे ही दिन तुम्हारे स्वास्थ्य में आशाजनक हेर−फेर दिखाई देने लगेगा। कुछ देर भी लगे तो धैर्य और दृढ़ता वाले व्यक्ति सरलता से उपयुक्त समय की प्रतीक्षा भी कर सकते हैं।


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