दोस्तों क्या आप जानते हो पराजय में ही विजय का बीज छिपा होता है। यदि प्रयत्न करने पर भी तुम सफल न हो सको तो कोई हानि नहीं। पराजय कोई बुरी वस्तु नहीं है। यदि वह विजय के मार्ग में अग्रसर होते हुए मिली हो। प्रत्येक पराजय विजय की दशा में कुछ आगे बढ़ जाना है। अवसर ध्येय की ओर पहली सीढ़ी है। हमारी प्रत्येक पराजय यह स्पष्ट करती है कि अमुक दिशा में हमारी कमजोरी है, अमुक तत्व में हम पिछड़े हुए हैं या किसी विशिष्ट उपकरण पर हम समुचित ध्यान नहीं दे रहे हैं। पराजय हमारा ध्यान उस ओर आकर्षित करती है, जहाँ हमारी निर्बलता या कमजोति होती है, जहाँ हमारी मनोवृत्ति अनेक ओर बिखरी हुई है, जहाँ हमारे विचार ओर क्रिया परस्पर विरुद्ध दिशा में बढ़ रहे हैं, जहाँ। दुःख, क्लेश, शोक, मोह इत्यादि परस्पर विरोधी इच्छाएं हमें चंचल कर एकाग्र नहीं होने देतीं।
मेरे भाई इस बात को याद रखो कि किसी न किसी दिशा में प्रत्येक पराजय हमें कुछ न कुछ सिखा जाती है। झूठी कल्पनाओं को दूर कर हमें कुछ न कुछ शक्तिशाली बना जाती हैं, हमारी विश्रृंखल वृत्तियों को एकाग्रता का रहस्य सिखाती हैं।
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि अनेक महापुरुष केवल इसी कारण सफल हुए क्योंकि उन्हें पराजय की कड़वाहट को चखा था। यदि उन्हें यह पराजय न मिलती
, तो वे महत्वपूर्ण विजय कभी भी प्राप्त नहीं कर सकते थे। अपनी पराजय से उन्हें यह पता चला कि उनकी संकल्प और इच्छा शक्तियाँ निर्बल हैं, चित्त स्थिर नहीं है, अन्तःकरण में आत्म शक्ति पर्याप्त मात्रा में जाग्रत नहीं है, इन भूलों को उन्होंने सम्भाला और उन्हें दूर किया तब जाकर वह विजय के पथ पर अग्रसर हुए।इसलिए मेरे भाई पराजय से घबराओ मत सफलता प्राप्त करने के लिए वह तुम्हे कुछ न कुछ सिखा कर जाती है |
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