सुबह उठने के फायदे ~ Subah Uthne Ke Fayde ~ Health & Fitness

 

ब्रह्म मुहूर्त में ही जागना चाहिए! प्रातःकाल,- जिसको कि हम आगे चल कर ब्रह्मा मुहूर्त कहेंगे- जब कि प्रकृति माँ अपने दोनों हाथों से स्वास्थ्य, बुद्धि, मेधा, प्रसन्नता और सौंदर्य के अमित वरदानों को लुटा रही होती है, जब कि जीवन और प्राण शक्ति का अपूर्व भण्डार प्राणि मात्र के लिए खुला हुआ होता है, तब हम बिस्तरों में पड़े निद्रा पूरी हो जाने पर भी आलस्य वश करवटें बदल-2 कर अपने शरीर में विद्यमान इन सम्पूर्ण वस्तुओं का नाश कर रहे होते हैं। हमें यह ज्ञान भी नहीं होता कि प्रभात के उस पुण्य काल में पड़े पड़े हम प्रकृति के कितने वरदानों से वंचित हो रहे हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला पुरुष सौंदर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को प्राप्त करता है। उसका शरीर कमल के सदृश सुन्दर हो जाता है।

प्रातः काल उठने से इतने लाभ क्यों हैं? इस प्रश्न का उत्तर प्रातःकाल की उस प्राणप्रद वायु में निहित है जो प्राकृतिक रूप से उस समय बहा करती है। जिसके एक-एक कण में संजीवनी शक्ति का अपूर्ण संमिश्रण रहता है। यह वायु रात्रि में चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी पर बरसाये हुए अमृत बिन्दुओं को अपने साथ लेकर बहती है। इसीलिये शास्त्रों में इसे वीर वायु के नाम से स्मरण किया गया है।

जो व्यक्ति इस समय निद्रा त्याग कर चैतन्य होकर इस वायु का सेवन करते हैं उनका स्वास्थ्य सौंदर्य, मेघा और स्मरण शक्ति बढ़ती है, मन प्रफुल्लित हो जाता है और आत्मा में नव चेतनता का अनुभव होने लगता है।

इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण रात्रि के पश्चात् प्रातः जब भगवान् सूर्य उदय होने वाले होते हैं तो उनका चैतन्यमय तेज आकाश मार्ग द्वारा विस्तृत होने लगता है यदि मनुष्य इससे पहले सजग होकर स्नानादि से निवृत हो, उपस्थान द्वारा उन प्राणाधि देव भगवान सूर्य की किरणों से अपने प्राणों में उनके अतुल तेज का आह्वान करने योग्य बन जाय तो वह पुरुष दीर्घजीवी बन जाता है।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त वायु का विभाग साधारणतया निमन क्रम से किया जाता है।

ऑक्सीजन वायु 21 प्रतिशत

कार्बनडाई आक्साइड वायु 6 “

नाइट्रोजन वायु73 “

100 “

विज्ञान के अनुसार सम्पूर्ण दिन वायु का यही प्रवाहण क्रम रहता है किन्तु प्रातः और सायं जब सन्धिकाल होता है इस क्रम में कुछ परिवर्तन हो जाता है। सूर्यास्त होने के बाद मनुष्य की प्राणशक्ति इसीलिए क्षीण पड़ जाती है कि उस समय जगत्प्राण प्रेरक भगवान सूर्य के अस्त हो जाने के कारण ऑक्सीजन अर्थात् प्राणप्रद वायु भी अपने स्वाभाविक स्तर से निम्न हो जाती है और इसी प्रकार प्रातःकाल के समय उस वायु के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण स्वास्थ्य सम्पादन में उसका समुचित उपयोग किया जाना चाहिए। यही इसका वैज्ञानिक रहस्य है।

संसार के सभी महापुरुषों ने प्रकृति के इस अलभ्य वरदान से बड़ा लाभ उठाया है।

विश्ववैद्य महात्मा गाँधी प्रतिदिन रात्रि में 3 बजे उठ कर ही अपने दैनिक कार्यों में लग जाया करते थे। पिछले पत्रों के उत्तर, समाचार पत्रों के लिए लेख तथा सन्देशादि वे इसी समय तैयार किया करते थे। लिखने-पढ़ने के लिए तो इससे उपयुक्त समय हो ही नहीं सकता।

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