क्या ज्ञान ही सफ़लतों का आधार है? ~ Is Knowledge The Basis of Success? ~ Motivation Hindi

 


दोस्तों क्या आप जानते हो कि सफलता इस लोक में हो या परलोक में दोनों ही जगह सफलता का आधार ज्ञान पर ही निर्भर होता है। इस संसार में जितने भी उन्नतिशील मनुष्य हुए हैं, जितने भी प्रगतिशील मनुष्य हुए हैं, जितने भी ऊपर उठने वाले मनुष्य हुए हैं, जितने भी आगे बढ़ने वाले मनुष्य हुए हैं, और जितने भी सफल जीवन मनुष्य हुए हैं | उनके अंदर एक ऐसी आदत सामान रूप से पायी जाती है | वो यह कि वह अपने ज्ञान को बढ़ाने में लगातार प्रयत्न किया करते है | उनके अंदर ज्ञान को प्राप्त करने की ललक पाई जाती है | ज्ञान को बढ़ाना ही उनके लिए सब कुछ होता है |

मेरे भाई अगर तुम सभी मनुष्यों को देखोगे तो आप कहोगे सबके पास समान शरीर है | यह सही है कि शरीर की दृष्टि से सभी मनुष्य एक समान हैं | परन्तु एक बात जो उनके छोटे या बड़े होने का कारण है | जो यह अन्तर दिखाई पड़ता है उसका प्रधान कारण उनका ज्ञान ही है। डाक्टर, वकील, इञ्जीनियर,

वैज्ञानिक, नेता, शासक, व्यापारी, साहित्यकार, सभी उच्च वर्ग के समझे जाने वाले लोग अपने ज्ञान के आधार पर ही यह उच्च स्तर प्राप्त कर सकते हैं।

मेरे भाई काम पड़ा लिखा व्यक्ति भला किस प्रकार इन ऊँचे पदों का अधिकारी हो सकता है? जैसे छोटी मछली को बड़ी मछली निगल जाती है उसी प्रकार बेचारे अज्ञानी लोगों का आमतौर से चतुर चालाक लोगों द्वारा निरन्तर शोषण किया जाता रहता है। इस बात को जितना जल्दी समझ लिया जाए तो अच्छा है |

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जब तक आपके अज्ञान छाया रहेगा, जब तक आपके नासमझी छायी रहेगी,  यह कानूनी और गैर-कानूनी शोषण रुक रुक नहीं सकता है। क्या आप जानते है औरतों का शोषण क्यों होता है और क्यों निम्न वर्ग के करोड़ों प्राणी आमतौर पर सताये जाते रहे हैं | इस कारण को जानिए मेरे भाइयों और बहनों | वो कारण यह है कि आप बौद्धिक दृष्टि से अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में पिछड़े रहे।

मेरे भाई, ज्ञानहीन व्यक्ति शरीर की मजदूरी से ही जीवन−यापन कर सकता है, शरीर में बुढ़ापा, बीमारी उत्पन्न हो जाय और किन्हीं दूसरों की उदार सहायता न मिले तो जीवन की रक्षा और परिवार चलना भी कठिन हो जाता है। शारीरिक श्रम से एक सीमित मात्रा में ही धन कमाया जा सकता है, उसमें से मौत बुढ़ापे के लिए बचाकर कितना रखा जा सकता है?

दूसरी तरफ देखो तो आपको पता चलेगा कि बुद्धिजीवी, ज्ञानवान लोग अपनी शिक्षा का समुचित लाभ कैसे उठाते हैं, उनकी उपार्जन शक्ति इतनी होती है कि संतोषपूर्ण जीवन यापन करते हुए आड़े वक्त के लिए भी बचाकर रख सकते हैं।

रूस जैसे साम्यवादी देश में भी बौद्धिक विशेषता के लिए विशेष आर्थिक सुविधा देने का प्रबन्ध है फिर गैर साम्यवादी देशों का तो कहना ही क्या है। यहाँ तो सारा दारोमदार शिक्षा और चतुरता पर ही निर्भर है।

इसलिए मेरे भाइयों अपने आप को और अपने परिवार को ज्ञान से वंचित मत रखिये | अपने ज्ञान को बढ़ाने में लग जायो | अपनी बुद्धि के बल को पहचानों | अपनी समझ को बढ़ाइए | तभी आप अपने परिवार और समाज को ऊँचा उठा सकते हो | ज्ञान की ही पूजा करो, ज्ञान को ही धारण करों | तुम्हें सफलता मिलकर रहेगी | तुम महान बनकर रहोगे |

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