दोस्तों जीवन में तरक्की का रास्ता क्या है? एक छोटी से घटना के माध्यम से में बताने जा रहा हूँ | अगर आप इसे समझ सके तो आपको सफलता से कोई नहीं रोक सकता है |
एक बार विद्यासागर जी जा रहे थे | वही रास्ते में उन्हें एक भिखारी बालक मिलता है। वह उनके सामने हाथ फैलाकर एक पैसा माँगने लगता है। विद्यासागर जी उसकी और देखते हैं फिर थोड़ी देर तक सोचने के बाद उसे बच्चे से पूछते है कि “यदि मैं तुम्हें एक पैसे के स्थान पर एक रुपया दे दूँ तो तुम उस का क्या करोगे।” उनकी यह बात सुनकर वह बालक बहुत प्रसन्न हुआ उसने कहा ‘बाबूजी! मैं भीख माँगना ही छोड़ दूँगा। यह सुनकर विद्यासागर जी ने उसके हाथ पर एक रुपया रख दिया और आगे बढ़ गये।
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विद्यासागर जी उस युवक की बात टाल न सके। और उसके साथ चल दिए | थोड़ी ही देर में वह दोनों एक फल की बड़ी दुकान के सामने पहुँच गए | युवक ने कहा ‘यह दुकान आपकी ही है। यह सुनकर विद्यासागर जी हैरान हो जाते है | और उस युवक से पूछते है कि यह दुकान मेरी कैसे है? युवक उन्हें बताता है - शायद आपको याद होगा कि एक बार भिखारी को एक पैसे के बदले में आपने एक रुपया दिया था और यह मंत्र सिखाया था कि हर मनुष्य को अपनी आजीविका आप कमानी चाहिये उसी रुपये से मैंने फलों का व्यवसाय शुरू कर दिया और आज इतनी बड़ी दुकान है।’
विद्यासागर बहुत प्रसन्न हुये। और अधिक उन्नति करने का आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा-बेटा जो लोग तुम्हारी तरह शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके लिये यह सफलता कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है।
दोस्तों अपने इससे क्या सीखा हमें कमेंट करके जरूर बताये |
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