माता-पिता बच्चों को शिष्टाचार और सज्जनता की शिक्षा भी दे ~ Motivation Hindi

 

क्या धन दौलत देने से तुम्हारी जिम्मेदारी ख़त्म हो जाती है | तुम अपने बच्चो को शिष्टाचार और सज्जनता की शिक्षा भी दिया करों |

दोस्तों एक सज्जन व्यक्ति अच्छे शिष्टाचार वाला व्यक्ति होता है | कहने को तो शिष्टाचार की बातें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन ये बहुत महत्वपूर्ण होती है | शिष्टाचार हमें महान व्यक्ति बनने में सहायता करते हैं | सामाजिक व्यवहार की दृष्टि से भी शिष्टाचार का पालन अत्यावश्यक है। शिष्टाचार सर्वत्र सम्मानित होता है | शिष्टाचार के शब्द जादुई हैं | अच्छे शिष्टाचार को बनाए रखना एक सज्जन व्यक्ति का अनिवार्य गुण है। इसलिए बच्चों को शिष्टाचार के महत्व और सज्जनता की शिक्षा भी प्रत्येक माता-पिता को जरूर देनी चाहिए |


मित्रों यह गुण बच्चों को सिखाया ही जाना चाहिए — शिष्टाचार, सज्जनता और मधुर−भाषण, यही तो वह विशेषताऐं हैं जिनसे आकर्षित होकर लोग अपने ऊपर अनुकम्पा अनुभव करते हैं। पराये को अपना बनाने का गुण केवल मात्र सज्जनता के व्यवहार में ही सन्निहित है। अशिष्ट और कटुभाषी व्यक्ति अपनों को भी पराया बना देते हैं और मित्रों से शत्रुता उत्पन्न कर लेते हैं। उसके विपरीत जिनकी वाणी में प्रेम घुला रहता है, आदर के साथ बोलते हैं और नम्रता और सज्जनता का परिचय देते हैं उनके शत्रु भी देर तक शत्रु नहीं रह सकते, उन्हें प्रतिकूलता छोड़कर अनुकूल बनने के लिए विवश होना पड़ता है।

मेरे भाई, परिवार के विद्यालय में सज्जनता एवं मधुरता का अभ्यास छोटी आयु से ही बालकों को कराया जाना चाहिए। बड़े−छोटों के साथ आप या तुम कहते हुए सम्मान सूचक शब्दों में ही बात करें। प्रताड़ना एवं भर्त्सना भरी बात भी कोई गलती करने पर कही जा सकती है पर वह होनी नम्र और शिष्ट शब्दों में ही चाहिए।

गाली−गलौज भरे मर्मभेदी, व्यंगात्मक, तिरस्कारपूर्ण कटु शब्द हर किसी को बुरे लगते हैं। छोटों पर भी उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जिह्वा पर इतना काबू होना चाहिए कि वह आवेश भरे दुष्ट शब्दों को बोलने न पाये। दुष्ट शब्दों की प्रतिक्रिया दुष्टतापूर्ण ही होती है उससे केवल द्वेष बढ़ता है। इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते हों |

कभी इनकार का अवसर आवे तो उसमें भी अपनी असमर्थता नम्र शब्दों में प्रकट करनी चाहिए। कटु शब्दों में इनकार करने से सामने वाले पर दुहरा प्रहार होता है और वह भी तिलमिलाकर दुहरी दुष्टता धारण कर लेता है। विवाद, इनकार एवं प्रतिद्वन्दिता में भी शिष्ट भाषा और सामने वाले के सम्मान का ध्यान रखा जाना चाहिए।

शिष्टाचार और सज्जनता इन विशेषताओं के कारण सभी माता-पिता से मेरा अनुरोध है कि बच्चों को इनकी शिक्षा भी जरूर दे | यह आपका परम कर्तव्य है |

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