परिवार सुखी व समृद्धिशाली कैसे होगा? ~ Motivation Hindi

दोस्तों प्रत्येक सद्गृहस्थ की यह इच्छा रहती है कि उसका परिवार खुशहाल और प्रेमपूर्ण वातावरण में निर्वाह करे | परन्तु वह इसके लिए उन्हें सद्गुणी बनाने की आवश्यकता की ओर ध्यान नहीं देता। ऐसी दशा में वह आकांक्षा अतृप्त ही रह जाती है और निर्धन व्यक्ति जिस प्रकार मन-मसोसते और अपने दुर्भाग्य को कोसते रहते हैं उसी तरह दुर्गुणी परिवार के संचालक को भी अपनी व्यथा को हर घड़ी सहन करते रहना पड़ता है। मेरे भाई पर इतने से भी कुछ काम चलने वाला नहीं है। बढ़ती हुई बुराई जब विस्फोट की स्थिति में पहुँचती है तो सहन शक्ति का भी अन्त हो जाता है और जीवित नरक के प्रत्यक्ष दर्शन करने को विवश होना पड़ता है।

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मेरे भाई परिवार को सुधारने की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति को सबसे पहले अपने आप को सुधारना पड़ेगा। क्योंकि असली प्रवचन वही है। माता और पिता पर बच्चों को जन्म देने का ही नहीं, उन्हें सुसंस्कारी बनाने और दीक्षा देने का उत्तरदायित्व भी है।

अकसर हम पढ़ाई ठीक न होने का दोष शिक्षकों को देते है पर आदतें ठीक न होने का दोष विशुद्ध रूप से अभिभावकों को ही दिया जाएगा, जिन्होंने ढील छोड़कर बच्चों पर बहुत खर्च किया है, इसलिए वह बच्चा पैसे के मूल्य को समझ नहीं पाता और वह फिजूलखर्ची की आदत सीख जाता है | अन्ततः वही आदत बढ़ी−चढ़ी स्थिति में पहुँचकर बच्चे को ‘उडाऊ’ बना देती है। यदि तुम आरम्भ से ही मितव्ययी रहते और धन को सदुपयोग सही से करते, जीवन में सादगी अपनाते, तो बच्चा भी धन की उपयोगिता एवं आवश्यकता को समझता और अपव्ययी नहीं बनता।

माता−पिता में परस्पर जो कलह-संघर्ष और मन-मुटाव रहता है उसका प्रभाव बच्चों के कोमल हृदय पर पड़े बिना रह नहीं सकता है। वे भी द्वेष, घृणा, कटुता और दुराव की भावनाऐं हृदय में बसा लेते हैं और आगे चलकर यही दुर्गुण क्लेश एवं द्वेष का विकराल रूप धारण करके सामने आते हैं।

जिस माता के हृदय में अपने पति के प्रति, ईश्वर के प्रति, धर्म के प्रति श्रद्धा होगी उसके बालक भी अपने माता−पिता के प्रति, बड़े−बूढ़ों के प्रति श्रद्धावान एवं भावनाशील रहेंगे। जिससे तुम्हारा परिवार सुखी व सम्रद्धिशाली होगा?

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