माता-पिता बच्चों को श्रम-शीलता की शिक्षा भी दे ~ Motivation Hindi

 

माता पिता से मेरा अनुरोध है कि वे अपनी जिम्मेदारी समझे और बच्चों को श्रम-शीलता की शिक्षा | क्या धन दौलत देने से तुम्हारी जिम्मेदारी ख़त्म हो जाती है | नहीं, यह तो अनेकों माँ-बाप अपने बच्चों को उत्तराधिकार में देकर जाते है।

यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारे बालक, तुम्हारे बच्चे आलसी न बनें और अकर्मण्य न बनें तो यह बात हमेशा याद रखना उनके सामने अपने आचरण से श्रमशीलता उदाहरण प्रस्तुत करो | उनके सामने अपने आचरण से कार्य संलग्नता का उदाहरण प्रस्तुत करो |


तभी तुम उन्हें अपनी भाँति किसी उपयुक्त कार्यक्रम में लगे रहने की दिनचर्या बनाने की शिक्षा और व्यवस्था दे सकते हो। व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि बालक खिन्न होकर नहीं बल्कि मनोरंजन समझकर बताये हुए कार्यों में लगा रहें। यदि उसका मन नहीं लगता हो तो किसी दूसरे प्रकार से हेर-फेर कर देना चाहिए।

मेरे भाई खेलना भी एक काम है यदि वह नियत समय और उचित वातावरण में सम्पन्न किया जाय। खेलों में जहाँ मनोरंजन के लिए स्थान रहे वहाँ बुद्धि-विकास एवं सामाजिक प्रवृत्तियों की भी गुँजाइश रहनी चाहिए।

तुम्हें बच्चों को घर के कई उपयोगी कामों में लगाये रहने की व्यवस्था करने चाहिए और साथ ही साथ उनका मनोरंजन होते रहने की अपनी परिस्थितियों के अनुरूप व्यवस्था करनी होगी |

तुम बुद्धिमान हो, समझदार हो, और कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति आसानी से बना सकता है। तुम्हें बच्चों को पुरस्कार और प्रशंसा के द्वारा उपयोगी कामों में लगे रहने की प्रेरणा देनी होगी। तुम्हें बच्चों को समय को व्यर्थ न जाने देने की उपयोगिता समझनी होगी |

तुम्हें बच्चों को किसी न किसी उपयोगी कार्य में निरन्तर लगाये रहने की आदत सीखनी होगी | मानव जीवन की सब से बड़ी श्रेष्ठता एवं विशेषता यही है कि वह किसी न किसी उपयोगी कार्य में निरन्तर लगा रहे |

अगर तुमने अपने बच्चों को यह आदत सिखा दी तो यह जान लो आपने उसके लिए अपार सम्पत्ति उत्तराधिकार में  छोड़ दी है |

सम्पति देने  की अपेक्षा आपने कहीं अधिक उपकार उस पर किया है |

यह तुम्हें मानना ही चाहिए आज नहीं तो कल तुम्हारे बच्चे इसके लिए तुम्हारा धन्यवाद जरूर करेंगे। आशा है तू ऐसा ही करोगे | आपका जीवन शुभ हो |

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