Thomas Edison को उसके शिक्षक ने सबसे पहले काम क्या दिया था? ~ Motivation Hindi

 

दोस्तों क्या आपको याद है कि उस वैज्ञानिक बनने की आकाँक्षा रखने वाले बालक एडीसन को उसके शिक्षक ने पहले घर में झाडू लगाने का काम सौंपा था और जब शिक्षक ने देखा कि इस कार्य में भी बालक की वैज्ञानिक प्रतिभा और गहरी दिलचस्पी काम कर रही है तो उसे विज्ञान की शिक्षा देनी प्रारम्भ की और वह अपने इस सद्गुण को विकसित करता हुआ महान् वैज्ञानिक बना। प्रत्येक महान् बनने वाले व्यक्ति के जीवन का प्रारम्भ उन छोटे-छोटे कार्य-क्रमों से ही होता है जिन्हें हम छोटे, तुच्छ समझकर मुँह फेर लेते हैं। 

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👉उन छोटे-छोटे कार्यों का जिन्हें हम छोटे, महत्वहीन, सामान्य कहकर टाल देते हैं हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। उन पर ही हमारे जीवन की महानताओं का भवन खड़ा होता है। एक-एक कण मिलाकर ही वस्तु का आकार प्रकार बनाते हैं। विशालकाय इञ्जन में एक कील का भी अपना महत्व होता है। उसे निकाल दीजिए सारा इञ्जन बेकार हो जायगा। बड़े भवन में एक छोटे से पत्थर को भी अस्थिर और ढीला-ढाला छोड़ दिया जाय तो उसके गिर जाने का खतरा रहेगा। 

👉हमारे जीवन में आने वाले छोटे-छोटे कार्य मिलकर ही महान् जीवन का सूत्रपात करते हैं लेकिन जब हम अपने कामों को छोटे और महत्व-हीन समझकर उन्हें भली प्रकार नहीं करते तो वे हमें बहुत बड़ा शाप देते हैं, जिससे हमारे जीवन की सफलता अधूरी और अपंग रह जाती है।

👉काम जो सामने खड़ा है उसमें रुचि अरुचि का प्रश्न उठाना उसी तरह अनुपयुक्त है जिस तरह गर्मी के दिनों में सर्दी की कामना करना। गर्मी है तो इसी में रहने का अभ्यास डालना पड़ेगा जो काम हमारे सामने हैं उसे पूरा करने में जुट जाना ही हमारा वर्तमान धर्म है। महत्वाकाँक्षा या रुचि के अनुसार सब कुछ तुर्त-फुर्त नहीं हो जाता है। 

👉धीरे-धीरे ऐसी भी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं जब मनुष्य को अपनी रुचि के अनुसार काम करने को मिले किन्तु यह तभी संभव है जब हम वर्तमान में जो काम सामने है उसे पूरा करने में लगे रहें। रुचि के अनुकूल काम कब मिलेगा यह भविष्य पर निर्भर है किन्तु जो आवश्यक ओर अनिवार्य है , वह है अपने प्रत्येक काम से प्यार करना, उसमें रस लेना और बड़ी तन्मयता लगन के साथ उसे पूर्ण करना। 

😐आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने काम से प्यार करें, उसकी इज्जत करें। इसी से हमारा उद्धार हो सकेगा।

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