भावुक व्यक्ति की मानसिक दशा कैसी होती है? ~ What is the Mental state of an Emotional Person?


Summary:
भावुक व्यक्ति की मानसिक दशा कैसी होती है
अति-भावुक व्यक्ति बड़ा दुर्बल चित्त बन जाता है।
वह कष्टों को बड़ा कर देखता है|
वह मिथ्या भय से परेशान रहता है|
काम-भाव उसे क्षण भर में उद्विग्न कर देता है|
साधारण-सी करुणा दिखाने से इतना दयार्द्र हो उठता है, कि अपना सब कुछ दे डालने को उन्मुख हो उठता है|
वह क्रोध में इतना उन्मत्त हो उठता है कि मार-पीट गाली यहां तक कि कत्ल तक कर बैठता है।
साधारण मनोविकारों पर अनुशासन वह नहीं कर पाता। वे उस पर हुक्म चलाते हैं। उसके निश्चय बनते अवश्य हैं, पर उसके संकल्पों में दृढ़ता नहीं होती। हलके वायु के झकोरों से जिस प्रकार पत्ते आन्दोलित होते हैं, उसी प्रकार उसका हृदय डोलता रहता है। वह विकृत मनोविकारों की उग्रता से ग्रसित रहता है।
अति भावुकता का अर्थ है; संकल्प की क्षीणता, साधारण भाव को बढ़ा चढ़ाकर देखना, विचार-बुद्धि से संचालित न हो सकना, हवाई किले बनाना और एक काल्पनिक संसार में मस्त रहना, जीवन की कठोर वास्तविकता से पलायन कर स्वार्थगत आनन्द सृष्टि में विहार करना, दिल के फफोले फोड़ना, सहनशीलता, कष्टों से संघर्ष करने की शक्ति का अभाव, अति सुकुमारता में आने वाली शैशव कालीन चिन्ताओं, भय या आनन्दों में विहार करना आदि। ये सभी कमजोरियां चट्टान से भी कठोर मानवीय जीवन के लिए हानिकारक हैं।
अति भावुकता मनुष्य को चंचल बना देती है।
अति भावुकता मनुष्य को अस्थिर बना देती है।
अति भावुकता मनुष्य को स्वार्थी बना देती है।
अति भावुकता मनुष्य को आलसी बना देती है।
अति भावुकता मनुष्य को निकम्मा बना देती है।
बुद्धि के साथ इसका सामंजस्य हो सके, तो यह लाभकारी अवश्य हो सकती है, पर बहुधा भावुक व्यक्ति बुद्धि और तर्क से दूर भागता है।

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