दोस्तों अपने जीवन में एक बात याद रखो वो यह कि तुम अपनी असफलता से प्रेरणा प्राप्त करो और आगे बड़ों | हर समझदार व्यक्ति अपने जीवन-लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करता है। वह एक मिनट का समय भी व्यर्थ नहीं जाने देता है। वह एक-एक कदम आगे बढ़ाता चलता है, पर उसके हर कदम को सफलता चूमती ही हो, यह कोई अनिवार्य तथ्य नहीं है।
कभी - कभी विफलता का मुँह भी देखना पड़ता है। इस असफलता से उस व्यक्ति को दुख तो होता है और बड़ी निराशा भी होती है, पर वह अपने कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होता है। वह उससे सावधान जरूर हो जाता है। वह अपनी विफलता से यह प्रेरणा प्राप्त करता है कि उसे अधिक तत्परता के साथ कठोर परिश्रम करना चाहिए। ऐसे अवसरों पर लोगों को अपनी भूल सुधारने का अवसर मिलता है। यदि मनुष्य को पग-पग पर सफलता प्राप्त हो, तो वह अवश्य ही सफलता के नशे में चूर हो जायेगा। ऐसा व्यक्ति फिर आगे बढ़ नहीं सकता। वह पतन के गड्ढे में जरूर गिर जायेगा।
.इस बात को हमेशा याद रखो मनुष्य जो काम करता है, उसका फल उसे अवश्य मिलता है। यह एक वास्तविकता है। यदि कोई क्रिया होती है तो उसकी प्रतिक्रिया भी होती है जो कुछ कार्य किया जाता है, उसका प्रतिफल भी तो प्राप्त होता है, पर उस मनुष्य को उसका फल कब मिलेगा ? उसका परिणाम कितना होगा ? कैसा होगा? मेरे भाई यह सब निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। उसे अपने कार्य में सफलता भी मिल सकती है और विफलता भी मिल सकती है । ये दोनों ही बातें परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। कोई घुड़सवार कितनी देर में कितनी दूर पहुँच जायेगा ? इसका कोई एक उतर हो ही नहीं सकता है। क्योंकि कई बातों से इस उतर का सम्बन्ध है। वह घुड़सवार घोड़े की सवारी में कितना कुशल है ? डरपोक तो नहीं है ? उसका घोड़ा तेज चलने वाला है अथवा मरियल टट्टू है। इन बातों की सही जानकारी होने पर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह घुड़सवार कितनी देर में अपनी मंजिल पर पहुँच जायेगा।
हम जो भी काम करते हैं उसे सफलता प्राप्त होने की आशा से ही करते हैं। आशा ही क्यों, पूरे विश्वास के साथ भी करते हैं। उसमें सफलता प्राप्त होने पर हम साहसपूर्वक आगे कदम बढ़ाते हैं। किन्तु दुर्भाग्य से यदि उस कार्य में असफलता मिलती है तो बड़ा दुख होता है। मनुष्य का यह स्वभाव है कि इच्छा पूरी होने पर उसे सुख का अनुभव होता है और किसी प्रकार की कठिनाई आती है तो दुख होता है।
मेरे भाई सफलता सुखदायी होती है। इसलिए हम उसे प्राप्त करना चाहते हैं। उसके लिए दिन-रात एक कर देते हैं। हमारी यह मनोकामना कब पूर्ण हो जायेगी ? इसका एक निश्चित उतर नहीं दिया जा सकता। उतर देने के पूर्व विभिन्न परिस्थितियों पर विचार करना पड़ता है। हमारा स्वभाव, सामयिक सूझ-बूझ, परिश्रमशीलता, पर्याप्त योग्यता, दूसरों की मदद, तत्कालीन परिस्थितियाँ, साधन का अच्छा या खराब होना, हमारी तत्कालीन उत्तरदायित्व, स्वास्थ्य आदि अनेक बातों से सफलता का सम्बन्ध है। ये सारी बातें हमेशा अनुकूल नहीं रहतीं। मेरे भाई केवल प्रयत्न करके सफलता की आशा नहीं की जा सकती।
तुम्हें सफलता प्राप्त करने के लिए भरपूर कोशिश तो हमेशा करनी चाहिए | पर यदि सफल न भी हो पाए तो दुख सहन करने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए। उन्नति के मार्ग पर चलने वाले हर व्यक्ति को इनका सामना करना ही पड़ा है। दिन और रात की तरह सफलता और विफलता का चक्र भी हमेशा चलता रहता है। अगर तुम हमेशा सफलता की आशा करते है तो यह तुम्हारी नासमझी है। जो व्यक्ति विवेकशील वह ऐसा कभी नहीं सोचता है। केवल सफलता की आशा करना और उसके न मिलने पर उदास होना कमजोर लोगों का काम है।
मेरे भाई जीवन की बहुमूल्य शिक्षा यह है कि छोटी-मोटी सफलताओं से आनन्द में पागल न हो जाओ और न ही असफलता को देखकर हिम्मत हारें। उसका भी स्वागत करो सफलता प्राप्त होने पर जैसी सुख-सुविधा की अनुभूति होती है वैसी ही विफलता से आत्म-सुधार और धीर-वीर बनने की प्रेरणा भी मिलती है।
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