सफलता किसे मिल सकती है? ~ Who can Get Success? ~ Motivation Hindi

दोस्तों आज की इस वीडियो मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि सफलता किसे मिल सकती है ? सफलता का श्रेय किसे मिले इस प्रश्न पर एक दिन विवाद उठ खड़ा हुआ। संकल्प ने अपने को, ‘बल’ ने अपने को और ‘बुद्धि’ ने अपने को अधिक महत्वपूर्ण बताया। तीनों अपनी अपनी बात पर अड़े हुए थे। अन्त में तय हुआ कि ‘विवेक’ को पंच बना इस झगड़े का फैसला कराया जाय।

तीनों को साथ लेकर विवेक चल पड़ा। उसने एक हाथ में लोहे की टेड़ी कील ली और दूसरे में हथौड़ा। चलते-चलते वे लोग ऐसे स्थान में पहुँचे जहाँ एक सुन्दर बालक खेल रहा था। विवेक ने बालक से कहा कि- बेटा इस टेड़ी कील को अगर तुम हथौड़ा से ठोक सीधी कर दो तो मैं तुमको भर पेट मिठाई खिलाऊँ और खिलौने से भरी एक पिटारी भी दूँ।

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बालक की आँखें चमक उठी। वह बड़ी आशा और उत्साह से प्रयत्न करने लगा। पर कील को सीधा कर सकना तो दूर उससे हथौड़ा उठा तक नहीं। भारी औजार उठाने के लायक उसके हाथों में बल नहीं था। बहुत प्रयत्न करने पर सफलता न मिली तो बालक खिन्न होकर चला गया। इससे उन लोगों ने यह निष्कर्ष निकाला कि सफलता प्राप्त करने को अकेला संकल्प अपर्याप्त है।

चारों आगे बढ़े तो थोड़ी दूर जाने पर एक श्रमिक दिखाई दिया। वह खर्राटे लेता हुआ सो रहा था। विवेक ने उसे झकझोर कर जगाया और कहा कि इस कील को हथौड़ा मार कर सीधा कर दो मैं तुम्हें दस रुपया दूंगा। उनींदी आँखों से श्रमिक ने कुछ प्रयत्न भी किया, पर वह नींद की खुमारी में बना रहा। उसने हथौड़ा एक ओर रख दिया और वहीं लेट कर खर्राटे भरने लगा।

निष्कर्ष निकला कि अकेला ‘बल’ भी काफी नहीं है। सामर्थ्य रखते हुए भी संकल्प न होने से श्रमिक जब कील को सीधा न कर सका तो इसके सिवाये और क्या कहा जा सकता था।

विवेक ने कहा कि हमें लौट चलना चाहियें, क्योंकि जिस बात को हम जानना चाहते थे वह मालूम पड़ गई। संकल्प, बल और बुद्धि का सम्मिलित रूप ही सफलता का श्रेय प्राप्त कर सकता है।

दोस्तों इसलिए कहा जा सकता है कि एकाकी रूप में न तो अकेला संकल्प, न ही अकेला बल और न ही अकेली बुद्धि सफलता दिला सकती है | आप लोगों को सफलता तभी मिल सकती है जब तीनों यानि संकल्प, बल और बुद्धि एक साथ मिलकर काम करें। और आपको ऐसा ही करना चाहिए |  अपने जीवन में तीनो का उचित मात्रा में औप्योग करना सीखना चाहिए |

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